jvalamukhi ( ज्वालामुखी )

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jvalamukhi ( ज्वालामुखी

jvalamukhi ( ज्वालामुखी ) यह एक प्राकृतिक परिघटना है जिसके अन्तर्गत विस्फोट के साथ लावा, ज्वलखण्डारिम पदार्थ ( Pyrodastic Debris), ज्वालामुखी बम्ब गैसे, राख आदि पृथ्वी के आन्तरिक भाग से बाहर आते हैं। प्राकृतिक प्रकोप का  रहस्य सबको आकर्षित करता है। लेकिन ज्वालामुखी कैसे फटता है? इस अद्वितीय प्रश्न के पीछे छिपा हुआ है

jvalamukhi ( ज्वालामुखी)

jvalamukhi ( ज्वालामुखी )

jvalamukhi ( ज्वालामुखी ) में निकलने वाली गेसे 

  • सल्फर
  • नाइट्रोजन
  • ऑर्गन
  • क्लोरीन
  • हाइड्रोजन

ज्वालामुखी उद्‌गार के प्रमुख कारण 

  • विवर्तनिकी गतिविधियाँ

प्लेटों के अभिसरण के दौरान विस्फोटक ज्वालामुखी उद्‌गार होते हैं।
अपसारी प्लेट किनारों वाले क्षेत्रों में मध्यम से निम्न तीव्रता के ज्वालामुखी उद्‌गार होते हैं। अत: प्लेटों की गति के कारण ज्वालामुखी उद्‌गार होते हैं।

  • भूकम्प

भूकम्प के दौरान कई बार दरारों का निर्माण होता है तथा यह दरारें ज्वालामुखी उद्‌गार में प्रेरक होती हैं।

  • पृथ्वी के आन्तरिक भाग में तापमान का बढ़ना

आन्तरिक भाग में रेडियोधर्मी पदार्थों के विघटन तथा रासायनिक क्रियाओं झादि के कारण ऊर्जा मुक्त होती है जो वहाँ स्थित चट्टानो  को पिघलाकर मेग्मा में परिवर्तित करती है। मेग्मा निर्माण के बाद ज्वालामुखी के रूप में बाहर आता है।

  • गैमों का निर्माण 

पृथ्वी के आन्तरिक भाग में जलवाष्प जैसी गैसों के निर्माण से दाब बढ़ता है जो ज्वालामुखी उद्‌गार में सहायक होता है।

  • समस्थितिक असंतुलन 

पृथ्वी अपने ऊँचे तथा नीचे स्थानों में एक सन्तुलन बनाए रखती है। प्राकृतिक गतिविधियों के कारण जब यह सन्तुलन बिगड़ता है तो पृथ्वी स्चनात्मक गतिविधियों द्वारा इस संतुलन को पुनः बनाने का प्रयास करती है जिससे ज्वालामुखी उद्‌गार होते है।

  • ऊपरी दाब कम होना

ऊपरी चट्टानों का आन्तरिक भाग में स्थित चट्टानों पर निरंतर दाब बना रहता है जिसके कारण आन्तरिक चट्टानें ठोस बनी रहती है। जब किसी कारणवश ऊपरी चट्‌टानों का दाब कम होता है तो चट्टानें पिघलकर मेग्मा का निर्माण करती हैं तथा यह मेग्मा ज्वालामुखी उद्‌गार के रूप में बाहर आता है ।

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