शाकम्भरी व अजमेर चोहान वंश उत्पत्ति मत इतिहास युध्द शाखा
शाकम्भरी व अजमेर चोहान वंश: एक अनूठा इतिहास जो समाज की अद्वितीयता को प्रकट करता है
बहुत स्वागत है हमारे ब्लॉग “शाकम्भरी व अजमेर चोहान वंश उत्पत्ति मत इतिहास युध्द शाखा” में। यह ब्लॉग एक यात्रा है उन समयों की, जब इतिहास की गहराइयों से जुड़े एक महान वंश का इतिहास को जानने का ।
“शाकम्भरी व अजमेर चोहान वंश” नाम सुनते ही हमारे मन में वीरता, साहस, और समृद्धि का चित्र उत्पन्न होता है। इस वंश का इतिहास विविधता से भरपूर है और यह भारतीय सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है।
इस ब्लॉग में, हम अजमेर चोहान वंश के उत्पत्ति, उसका इतिहास, और शाकम्भरी शाखा के विशेष महत्वपूर्ण युद्धों की खोज परिणाम किताबे मत विद्वान निर्णय आड़े के बारे में जानकारी प्रात्त करेंगे ।
चौहान राजवंश का इतिहास
सपादलक्ष के चौहान
संस्थापक – वासुदेव चौहान (551 ई.)
उत्पति सम्बन्धी मत
अग्निकुण्ड से – पृथ्वीराज रासो (चंदरबरदाई) , नैणसी एवं सूर्यमस्ल मिश्र (समर्थन)
सूर्य चन्द्र नैन-आग
यज्ञ वशिष्ठ ऋषि द्वारा
4 योद्धा = प्रतिहार
परमार
चालुक्य
चौहान
सूर्यवंशी – ओझा , पृथ्वीराज विजय हम्मीर महाकाव्य सुर्जन चरित चौहान प्रशस्ति बेदला शिलालेख
चन्द्रवंशी – हांसी का शिलालेख (११७७) , अचलेश्वर मंदिर का शिलालेख ( चन्द्रावती )
ब्राहमण वंशीय – पंडित दशरथ शर्मा, बिजौलिया शिलालेख(1170), डॉ कायमखान रासौ गोपीनाथ शर्मा।
विदेशी मत – (शक सीशियन) जेम्स टॉड, कुक डॉ वी एस निमय
इंद्रवंशीय सेवाडी अभिलेख –
वासुदेव चौहान
राजधानी – अहिचत्रपुर (नागौर)
चौहान जांगल देश के रहने वाले थे। सपादलक्ष उनके राज्य का प्रमुख भाग था।
वासुदेव चौहान को सांभर झील का निर्माता कहा जाता है। इसने अपनी कुल देवी शाकम्भरी माता के मंदिर का निर्माण सांभर के पास करवाया।
चौहान पहले गुर्जर प्रतिहारों के सामत थे।
रामकरण आसोपा के अनुसार सांभर के चारों ओर होने के कारण ये चहमान कहलाए। कहलाए। यही चहमान भविष्य “चौहान “में कहलाया।”
प्रमुख स्रोत:
कविजान – कायम खाँ रासो
राजरूप – हम्मीर राबाड़ा
अमृत कैलाश – हम्मीर बंधन
विमहराज II का हर्ष अभिलेख
नरपतिनाह्ह – बीसलदेव रासो
जौधराज – हम्मीर रासो
नयनचन्द्र सूरी – हम्मीर महाकाव्य
वासुदेव चौहान, गैहानों का मूल पुरूष /आदि पुरुष कहलाता है।
दुर्लमराज-1 का पुत्र गुवक – प्रतिहार नागभटूट II का सामंत था। इसने सीकर में हर्षनाथ जी का मंदिर(चौहान शासकों के ईष्टदेव) बनाया जो चौहाने के कुलदेवता है।
इसने गुर्जर प्रतिहारो की अधीनता से चौहानों को मुक्त करवाया।
गुवक – कन्नौज के शासक मौजराज से अपनी बहिन कालावती का विवाह किया।
गुवक II- चंदनराज – तोमर नरेश रूद्र को पराजित किया।
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रानी रुद्राणी (आत्मप्रभा) यौगिक क्रिया में निपुण
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प्रतिदिन 1000 दीपक पुस्कर में महादेव के सामने जलाती थी
वाक्पतिराज-1 हर्ष अभिलेख (983 ई.) मैं इसे महाराज कहा गया
विग्रहराज II (956) – चालुक्य शासक मूलराज 1 को पराजित किय। भृगुकच्क (भहोंच) में आशापुरा माता का मंदिर बनगया।
गोविंद तृतीय – पृथ्वीराज विजय में बैरीघटट (शत्रुसंहारक) कहा है। फरिश्ता में गोबिंद तृतीय को “गजनी के शासक” को में मारवाड़ में आगे आने से रोका
वाक्पतिराज द्वितीय – मेवाड को अम्बाप्रसाद को युद्ध में मारा । पुत्र लक्ष्मण चौहान ने 960ई नागैल में चोहान वंश की स्थापना की
पृथ्वीराज -1 1105 में पुष्कर में 700 चालुक्यों को मारा जो ब्राहमणों को लूटने आए थे। ” परम भट्टारक महाराजाधिराज परमेश्वर” की उपाधि धारण की
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पुत्र अजयराज -1 (1105-1333) – चौहानों का साम्राज्य निर्माण काल → 1113 में अजयमेरु बसाकर अपनी राजधानी बनाया
चौहानों की राजधानी धानी सांभर के के स्थान पर अजमेर को बनाया
“श्री अजयदेव” नाम से चाँदी के सिक्के चलाए। व रानी सोमलवती ने भी चलाए।
“बीहली पहाड़ी पर अजयमेर दुर्ग बनवाया
अर्नाराज (1133-1155) – शैव मत वाला
चालुक्य जयसिंह सिहराज की पुत्री कांचन देवी से विवाह ।
पुष्कर में वराह मंदिर बनाया,
आनासागर झील का निर्माण ( 1135-07 में चन्द्रा नदी के जल रोककर) ।
(अजमेर में खतरगच्छा को के अनुभागियों के लिए भूमिदान ), तुर्को को पराजित किया।
विद्वान देवबोया – व धर्मघोष
चालुक्य कुमारपाल ने इसे पराजित किया। इसका वर्णन प्रबंध चिंतामणि(मेरुतुगाचार्य ) व प्रबंध कोष (राजशेखर) में मिलता है। )
उसके पुत्र जगदेव ने उसकी हत्या कर दी – 1155 ई. में
जगदेव चौहानों का पितृहन्ता
विग्रहराज Ⅳ (1158-63)
बीसलदेव के नाम से विख्यात, विग्रहराज का समय चौहानों का स्वर्णकाल
इसके बारे में जानकारी दिल्ली के शिवालिक शिलालेख से (कश्मीर से विध्यांचल तक के शासक कर देते हैं।)
तुर्क शासक खुशरावशाह को पराजित किया दिल्ली के तोमरों को पराजित किया।
अजमेर में “संस्कृत कंठाभरण” नामक संस्कृत पाठशाला महाविधालय का निर्माण (college Loc. 2019)
इस पर इसने “हरिकैली” की पंक्तियाँ खुदवायी।
कालांतर में कुतुबुद्दीन एबक में इस पाठशाला को तोड़कर मस्जिद बना की जिसे ढाई दिन का झौंण्ड़ा” कहते हैं।
विग्रहराज ने हरिकेली नाटक की रचना की (grande 2015) → विग्रहराज विद्वानों का आश्रयदाता होने के कारण “कवि बौहान के नाम से जाना जाता है।
सुजनता में “कटिबंधु के नाम से Famous
सोमदत् – ललित विग्रहराज ( विग्रहराज व रेसल देवी के प्रेम का वर्णन
नरपति नाल्ह – बीसलदेव रासो (बीसलदेव व परमार राजा भोज की पुत्री राजमती के प्रेम)
जैन विद्वान धर्मघोष सूरी के आदेश पशुवध पर एकादशी के दिन प्रतिबंध लगाया।
वर्सी ब्राउन के अनुसार पंजाबशाह पीर का यहां लगता है • इसलिए इसे “ढाई दिन का ढाई दिन का उस झोपड़ा ” कहते हैं।
अबुबक्र व्यक्ति की देखरेख में यह मस्जिद बनी।
संस्कृत महाविद्यालय के कुलपति पद्मनाथ चौहान थे।
जयानक कवि बांधव की उपाधि विग्रहराज की मृत्यु के पश्चात् निरर्थक हो गई। यह बात पृथ्वीराज विजय में कही गई है।
किलहॉर्न – विग्रहराज उन विद्वान शासकों में से था जो कालीदास व भवभूती की होड़ कर सकता था।
बीसलदेव ने वीसलपुर कस्बा बसाया व झील बनायी।
दिल्ली में शिवालेख स्तंभ अभिलेख उत्कीर्ण (RAS 2015)
विग्रहराज दिल्ली पर अधिकार करने वाला प्रथम चौधन शासक था।
सोमेश्वर चौहान – पत्नी – कर्पूरदेवी पिता : अर्नोराज माता -कांचन देवी
बिजोलिया शिलालेख मिला
प्रतापलङ्केश्वर की उपाधि धारण की
पुत्र – पृथ्वीराज तृतीय व हरिराम
पृथ्वीराज चौहान तृतीय
माता कर्पूरी देवी ( दिल्ली के अनंगपाल तोमर की पुत्री)
पिता- सोमेश्वर
जन्म : अन्हिलपाटन (गुजरात)
सैनापति – भुवनमल (भुवनैकम्मल )
मंत्री – कैमास / करम्वदास /कैम्बवास
उपनाम / उपाधि – रायपिथौरा दलपुंगल (विश्वविजेता)
11 वर्ष में शासक बना, माता संरक्षिका
1178 चचेरे भाई नागार्जुन का दमन किया गुडगाँव मैं
1182 अलवर व भरतपुर क्षेत्र के भण्डानकों का दमन किया
1182 तुमुल का युध्द
पृथ्वीराज III vs परमार्दिदेव चंदेल (महोबा),आल्हा उदल (सेनानायक) वीरगति को प्राप्त
विजित
पंजु राय को महोबा का अधिकारी नियुक्त किया
गुजरात से से गुह चालुक्यों से 1184ई में
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नागौर का युद्ध – भीम II vs पृथ्वीराज (चालुक्य)
संधि – पृथ्वीराज व भीम Ⅱ के सेनापति जगदेव प्रतिहार के मध्य
संयोगिता विवाद
अनंगपाल तोमर (दिल्ली)
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दोहिता
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पृथ्वीराज-मौसेरे भाई – जयचंद गहड़वाल (नाराज)
संयोगिता से जयचंद की इच्छा के विरूद्ध विवाह (पृथ्वीराज रासो)
तराईन का युद्ध-1 = 1191
पृथ्वीराज ( विजित) Vs मौहम्मद शहाबुद्दीन गौरी (गौरीवंश के गयासुद्दीन गौरी का छोटा
मुल्तान जीता भाई, गजनी का गवर्नर)
तात्कालिक कारण –
भटिण्डा / तबर हिन्द / सरहिन्द पर अधिकार को लेकर।
पृथ्वीराज के साथ दिल्ली का गवर्नर गोविंदराज व सेनापति चामुण्डाराव था।
तराइन का द्वितीय युद्ध-1192
पृथ्वीराज चौहान Vs शाहाबुद्दीन मौ. गौरी (विजित )
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यह निर्णायक युद्ध रहा था। इस युद्ध के पश्चात् भारत में मुस्लिम साम्राज्य की नींव पड़ी।
नाट्यरंभा – नाचने वाला घोड़ा
दरबारी विद्वान जयानक; विद्यापति गौड़, विश्वरूप, वागीश्वर, जनाईन, चंदरबरदाई
पृथ्वीराज रासों को जल्हन ने पूरा किया,पृथ्वीराज के शब्दभेदी बाण द्वारा गौरी की मृत्यु
हसन निजामी- ताजुल मासिर
मिनहास सिराज – तबकाते नासिरि
पृथ्वीराज का भाई हरिराज पृथ्वीराज के पुत्र गोविन्दराज को भगा देता है।
गोविंदराज कुतुबुद्दीन ऐबक की अनुमति से 1194 में रणथम्भौर में चौहान वंश की नींव स्थापित करता है।
मोइनुद्दीन चिश्ती पृथ्वीराज के समय भारत आए।
इस तरह मौहम्मद गौरी व पृथ्वीराज तृतीय के मध्य 2 युद्ध लड़े गए। पृथ्वीराज तृतीय ने दिल्ली में पिथोरगढ किले का निर्माण करवाया
हमने इस आर्टिकल में हमने चोहान वंश के बारे में जानकारी प्राप्त की ये सभी जानकरी राजस्थान सिविल सेवा और अन्य एग्जाम में इसने क्वेश्चन पूछे जाते है आप इनके साथ ही भारतीय भूगोल के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकते है
शाकम्भरी व अजमेर चोहान वंश उत्पत्ति मत इतिहास युध्द शाखा
शाकम्भरी व अजमेर चोहान वंश उत्पत्ति मत इतिहास युध्द शाखा