वायुमंडलीय दाब और दाब पेटियाँ
क्या आप जानते हैं कि वायुमंडलीय दाब क्या है?
क्या आप जानते हैं कि पृथ्वी पर दाब पेटियाँ कैसे बनती हैं?
क्या आप जानते हैं कि वायुमंडलीय दाब और दाब पेटियाँ SSC, UPSC और PSC परीक्षाओं में महत्वपूर्ण क्यों हैं?
यदि नहीं, तो आप सही जगह पर आए हैं!
इस ब्लॉग में, हम वायुमंडलीय दाब और दाब पेटियों की अवधारणाओं को गहराई से समझेंगे। हम यह भी देखेंगे कि ये अवधारणाएं SSC, UPSC और PSC परीक्षाओं में कैसे महत्वपूर्ण हैं।
इस ब्लॉग में, हम निम्नलिखित विषयों को कवर करेंगे:
- वायुमंडलीय दाब क्या है?
- वायुमंडलीय दाब को कैसे मापा जाता है?
- दाब पेटियाँ क्या हैं?
- पृथ्वी पर दाब पेटियों का वितरण
- वायुमंडलीय दाब और दाब पेटियों का महत्व
- SSC, UPSC और PSC परीक्षाओं के लिए तैयारी कैसे करें
यह ब्लॉग SSC, UPSC और PSC परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए एक मूल्यवान संसाधन साबित होगा।
तो, चलिए शुरू करते हैं!
वायुमण्डलीय दाब
वायु द्वारा पृथ्वी की सतह पर लगाए जाने वाले दाब को वायुमण्डलीय दाब कहते हैं।
वायुमण्डलीय दाब को बैरोमीटर द्वारा मापा जाता 1
वायुमण्डलीय दाब की इकाई मिलीबार (mb) होती है।तापमान बढने पर दाब कम होता है तथा ऊँचाई बढ़ने पर भी वायु की सान्द्रता कम होने के कारण दाब कम होता है।
किन्हीं दो स्थानों पर पाए जाने वाले दाब में अन्तर को दाब प्रवणता ( Pressure differential) कहते हैं।
दाब प्रवणता के कारण दाब प्रवणता बल लगता है जो पवनों की गति करवाने में सहायक होता है
पवने हमेशा उच्च दाब से निम्न दाब की ओर चलती है। दाब प्रवणता जितनी अधिक होती है, पवनों की गति उतनी ही अधिक होती है। दाब प्रवणता बल के अलावा पवनों पर कोरियोलिस बल तथा घर्षण बल भी लगता है।
दाब पेटियाँ
विषुवत रेखीय निम्न दाब पेटी :-
यह पेटी 5°N तथा 50 दक्षिणी अक्षांश के बीच स्थित है।
विषुवतरेखीय क्षेत्रों में अधिक सौर ताप के कारण वायु गर्म होकर ऊपर की ओर उठने लगती, है जिसके कारण सतह पर निम्न दाब का निर्माण होता है।
यह पेटी उच्च तापमान के कारण बनती है अतः इसे तापजन्य (Temperature Induced) पेटी कहते
→ इस पेटी क्षेत्र में वायु की सान्द्रता कम होने के कारण यहाँ मन्द (Mild) पवनें चलती हैं अंत: इसे शान्त पेटी क्षेत्र (Doldrum / Calm Belt) भी कहते है।
इस पेटी क्षेत्र में उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों में चलने वाली पवनों का अभिसरण होता है अतः इसे अन्तः उष्ण कटिबन्धीय अभिसरण क्षेत्र (Inter Tropical Convergence Zone / ITCZ) भी कहते हैं।उपोष्ण कटिबन्धीय उच्च दाब पेटी Sub-tropical High Pressure Belt (STHPB):-
यह पेटी दोनों गोलाद्धों में 30 अक्षांशीय क्षेत्रों में पाई जाती है।
विषुवतरेखीय क्षेत्रों से ऊपर उठने वाली वायु 30° अक्षांशीय क्षेत्र में अवतलित होती है जिसके कारण
यहाँ उच्च दाब का निर्माण होता है।
इस पेटीं का निर्माण तायु के अवतलन के कारण होता है अतः इसे गतिकजन्य (Mechanically Induced) पेटीं कहते हैं।
वायु के अवतलन के कारण यहाँ बादल निर्माण नहीं होता अतः यहाँ वायुमण्डलीय स्थायित्व पाया जाता है एवं मन्द पवनें चलती हैं।
प्राचीनकाल में यहाँ से गुजरने वाले जहाजों की गति में मन्द पवनों के कारण अवरोध उत्पन्न होता था एवं व्यापारी जहाज को हल्का करने के लिए घोड़ों को समुद्र में फेंक दिया करते थे अत: इसे अश्व अक्षांश भी कहते हैं।
→ विश्व के अधिकतम गर्म मरुस्थल इसी पेटी क्षेत्र में पाए जाते हैं।शीतोष्ण कटिबन्धीय निम्न दाब पेटी :-
यह पेटी दोनों गोलाहों में 60° अक्षांशीय क्षेत्र में पाई जाती
इस पेटी का निर्माण पृथ्वी के घूर्णन के कारण होता है अतः इसे गतिकजन्य पेटी कहते हैं।
इस पेटी क्षेत्र में निम्न दाब परिस्थितियाँ होने के कारण यहाँ शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों का निर्माण होता है।ध्रुवीय उच्च दाब पेटी :-
→ यह पेटी दोनों गोलाहों में 90° अक्षांशीय क्षेत्र में पाई जाती
→ धुवीय क्षेत्रों पर तापमान कम होने के कारण वायु ठण्डी होकर अवतलित होती है जिसके कारण यहाँ उच्च दाब की स्थिति का निर्माण होता है।
इस पेटी का निर्माण तापमान के कारण होता है अत: इसे तापजन्य पेटी कहते हैं।
इस पेटी क्षेत्र में वायुमण्डलीय स्थायित्व पाया जाता है।
Shipting Of Pressure Belt
दाब पेटियाँ सूर्य की स्थिति के अनुसार विस्थापित होती है।
ITCZ वहाँ स्थित होता है जहाँ सूर्य ठीक ऊपर लम्बवत् स्थित होता है।
जून में ITCZ उत्तरी गोलार्द्ध में विस्थापित हो जाता है तथा ITCZ के विस्थापन के साथ सभी दाब पेटियाँ उत्तर की ओर विस्थापित होती हैं।
दिसम्बर में ITCZ के साथ सभी दाब पेटियाँ दक्षिण की ओर विस्थापित होती हैं।
दाब पेटियों के विस्थापन से दो प्रमुख जलवायु परिस्थितियों का निर्माण होता है
1. मानसून जलवायु (Monsoon Climate)
2. भूमध्यसागरीय जलवायु | Mediterranean Climate)
1. मानसून जलवायु
इस जलवायु वाले क्षेत्रों में अधिकतम वर्षा ग्रीष्म ऋतु के दौरान प्राप्त होती है।
इस जलवायु क्षेत्रों में मुख्य रूप से भारत, द. पूर्वी एशिया एवं उत्तरी ऑस्ट्रेलिया सम्मिलित है।
2. भूमध्यसागरीय जलवायु
इस जलवायु वाले क्षेत्रों में अधिकतम वर्षा शीत ऋतु के दौरान प्राप्त होती है।
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