मृदा निर्माण को प्रभावित करने वाले सभी कारक
मृदा का निर्माण चट्टानों के अपक्षय (Weathering) से होता है।
मृदा में कार्बनिक तथा अकार्बनिक तत्व पाए जाते हैं। मृदा के मुख्य घटक जैव पदार्थ, खनिज, जल तथा वायु होते हैं।
मृदा निर्माण को प्रभावित करने वाले सभी कारक, जो निम्नलिखित हैं
जनक सामग्री (Parent Material)
जिन चट्टानों से मृदा का निर्माण होता है, उस चट्टान के गुण मृदा में पाए जाते हैं।
लावा की चट्टानों के अपक्षय से काली मृदा तथा आग्नेय एवं कायान्तरित चट्टानों से लौह तत्व युक्त लाल मृदा का निर्माण होता है।
स्थिति
स्थिति के आधार पर मृदा दो प्रकार की होती है:
क्षेत्रीय
अक्षेत्रीय
क्षेत्रीय मृदा
क्षेत्रीय मृदा में जनक सामग्री के गुण अधिक पाए जाते हैं।
क्षेत्रीय मृदा के कण मोटे होते हैं। [Coarse Coarse grained] तथा इसकी जलग्रहण क्षमता कम होती है। इस मृदा में मृदा परिच्छेदिका (Sail Profile) का निर्माण होता है।
अक्षेत्रीय मृदा
इस मृदा में जनक सामग्री के गुण कम पाए जाते हैं। इस मृदा के कण बारीक होते हैं । [ fine grained ] इसकी जलग्रहण क्षमता अधिक होती है। इस मृदा में मृदा परिच्छेदिका का निर्माण नहीं हो पाता।
जैव पदार्थ
मृदा में मृत जीव – जन्तुओं एवं पेड़-पौधों के अवशेष पाए जाते हैं।
मृदा में पाए जाने वाले जीवाणु इन जैव पदार्थों का अप करते हैं जिससे ह्युमस (Humus) का निर्माण होता है।
ह्युमस मृदा की उत्पादकता को बढ़ाता है।
उच्चावच
पर्वतों के ढाल वाले क्षेत्र में मृदा की परत पतली पाई जाती। है तथा मैदानी क्षेत्रों में अधिक जमाव के कारण मृदा की परत मोटी पाई जाती है।
उच्चावच मृदा के संचय को प्रभावित करता है।
जलवायु
जलवायु के दोनों घटक तापमान तथा वर्षा मृदा को प्रभावित करते हैं।
तापमान
जिन क्षेत्रों में तापमान अधिक होता है वहाँ जीवाणु अधिक सक्रिय होकर ट्युमस का निर्माण करते हैं।
कम तापमान वाले क्षेत्रों में जीवाणु कम सक्तिय हो जाते हैं जिसके कारण स्युमिक अम्ल का निर्माण होता है
वर्षा
अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में जल में घुलनशील तत्व मृदा की निचली परतों में चले जाते हैं जिसके कारण मृदा की उत्पादकता कम हो जाती है।
Iron/Aluminium Oxide
Silica/Lime
कम वर्षा वाले क्षेत्रों में वाष्पीकरण अधिक होता है जिसके कारण मृदा की लवणीयता बढ़ जाती है।
अधिक तापमान तथा अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में जीवाणु अत्यधिक सक्तिय हो जाते हैं जो ह्युमस का निर्माण करने के बाद उसे नष्ट कर देते हैं।
समय
समय मृदा की परिपक्वता तथा मृदा की परिच्छेदिका के निर्माण को प्रभावित करता है।
मृदा निर्माण में जितना समय लगता है, मृदा उतनी ही परिपक्व होती है।
मानवीय गतिविधियाँ
मानव गतिविधियों के कारण मृदा की गुणवत्ता खराब होती जा रही है।
निर्वनीकरण / वनोन्मूलन के कारण मृदा का अपरदन अधिक होने लगा है।
अधिक सिंचाई के कारण ( Ivrigation) मृदा की लवणीयता (Ivrigation) शुष्क क्षेत्रों में बढ़ती जा रही
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