बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइल में अंतर- SSC,UPSC, RAILWAYS के लिए नोट्स

बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइल में अंतर,मिसाइल किसे कहते है,बैलिस्टिक मिसाइल काम कैसे करता है , क्रूज मिसाइल काम कैसे करता है

देश के लिए उसकी मिलट्री स्ट्रैंथ एक रिस्पेक्ट होती है और चाहे बात अपनी लैंड बॉर्डर्स को  या अपने मैरिटाइम बॉर्डर को सुरक्षित की रखने की हो  इन सभी एजेंड़ास को फुलफिल करने में डिसीजन रोल प्ले करती है आर्म्ड व्हीकल से लेकर फाइटर प्लेन नवल शिप से लेकर सबमरीन रडार सिस्टम से लेकर सर्विलांस तक देश में मौजूद हर एक मिलट्री इक्विपमेंट या टेक्नोलॉजी आपको अपने दुश्मन से एक कदम आगे रखने का काम करती है 

 

सभी मिलट्री इक्विपमेंट और टेक्नोलॉजी की ही तरह मौजूदा वक्त में न्यूक्लियर हथियार भी किसी देश की मिलट्री स्ट्रैंथ का मजबूत इंडिकेटर होते हैं  जिनके पास न्यूक्लियर हथियार मौजूद है

आज हमारे पास धरती जल और वायु तीनों जगह से न्यूक्लियर अटैक करने की क्षमता मौजूद है न्यूक्लियर हथियार से होने वाली तबाही बात पर निर्भर करता है कि हथियार की टारगेट रेंज कितनी दूर तक है वही इन न्यूक्लियर हथियार को किसी टारगेट तक ले जाने का काम मिसाइल्स का होता है

यदि अगर न्यूक्लियर हथियार एक पैकेट है तो मिसाइल उसे डिलीवर करने वाला एक डिलीवरी बॉय है यही वजह है कि आज जिस  देश  के पास जितनी पावरफुल और लॉन्ग रेंज  मिसाइल्स है उनकी पहुंच उतनी ही दूर तक है

 हिंदुस्तान की बात करें तो आज हमारे पास ऐसी जो मिसाइल्स मौजूद है जो किसी न्यूक्लियर हथियार को  एक जगह से दूसरी जगह तक ले जाने में सक्षम है इनमें से कुछ मिसाइल्स ऐसी भी है जिनके कई दूसरे वेरिएंट्स भी है मिसाइल्स की स्ट्रेंथ इनकी स्पीड रेंज और हथियार केयरिंग के फैसिलिटी से पता चलती है जहां कुछ मिसाइल्स शॉर्ट से लेकर लम्बी दूरी  तक जाकर अपने टारगेट को हिट करने की क्षमता भी रखती है तो कुछ मिसाइल्स स्मॉल से लेकर हैवी पेलोड को कैरी करने का दमखम रखती है 

सामान्तया मिसाइल्स को दो कैटिगरीज में डिवाइड किया जाता है 

बैलिस्टिक 

क्रूज मिसाइल 

मिसाइल किसे कहते है 

एक  सिस्टम होता है जिसका इस्तेमाल प्रोपल्शन ओवरहेड और गाइड सिस्टम के बेसिस पर क्लासिफाई किया जाता है लेकिन आज हम मिसाइल सिस्टम की बात करने जा रही है उन्हें प्रोटेक्शन बेसिस पर क्लासिफाई किया गया है अभी दोनों मिसाइल्स है

  1. बैलिस्टिक 

     2. क्रूज मिसाइल 

 सबसे पहले बैलिस्टिक मिसाइल के बारे में जानते हैं जब किसी मिसाइल के साथ गाइडेंस डिवाइस जोड़ा जाता है तो मिसाइल सिस्टम बैलिस्टिक मिसाइल कहलाता है जब ऐसी किसी मिसाइल को रिलीज किया जाता है तो यह अर्थ की ग्रेविटेशनल लॉ के अनुसार अपनी प्रेडिटरमाइंड टारगेट पर जाकर गिरता है 

बैलिस्टिक मिसाइल काम कैसे करता है 

जब किसी बैलिस्टिक मिसाइल को रिलीज किया जाता है तो सबसे पहले बहुत तेजी से ऊपर की ओर जाता है और अर्थ के एटमॉस्फेयर को क्रॉस करते हुए अर्थ के लोअर ऑर्बिट तक जाती है ऊपर की ओर जाते वक्त बैलिस्टिक मिसाइल प्रिंसिपल का ऑर्बिटल मेकैनिज्म और प्रिंसिपल का बैलिस्टिक को फॉलो करती है

एक एल्टीट्यूड पर पहुंचने के बाद अर्थ के ग्रेविटेशनल के इनफ्लुएंस पर आकर बैलिस्टिक मिसाइल नीचे की ओर आती है और अपने डिटरमिन टारगेट को हिट करती है यानी मिसाइल एक फिक्स पैराबोलिक मोशन एक फिक्स्ड ट्रांजैक्ट्री को फॉलो करती है

बैलिस्टिक मिसाइल में जो डायरेक्शन डिवाइस इंस्टॉल होता है उसकी वजह से यह अपने लॉन्च की बिगनिंग में ही गाइड कर दी जाती है यानी एक बार प्लास्टिक मिसाइल की टारगेट को सेट कर दिया जाए उसके बाद उससे बदला नहीं जा सकता मौजूदा वक्त में बैलेस्टिक मिसाइल्स को केमिकल रॉकेट इंडियन के द्वारा प्रोफाइल किया जाता है और मिसाइल्स में लार्ज अमाउंट ऑफ़ एक्सप्लोजिव्स कैरी करने की कैपेसिटी होती है 

बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइल में अंतर 

 

वर्ल्डस फर्स्ट बैलिस्टिक मिसाइल की बात करें तो उसे बनाने का जर्मनी के नाजिश को जाता है जिन्होंने 1930 से 1940 के मिड में मिसाइल सिस्टम को डेवलप किया था रॉकेट साइंटिस्ट व्हेन हेर बोर्न ब्राउन के पैटर्न और सुपरविजन में दुनिया की फर्स्ट लिस्ट मिसाइल बनाई के जिसकानाम A4 था 

 इस मिसाइल के टेस्ट अक्टूबर 1942 को हुआ था सबसे पहले इस मिसाइल का इस्तेमाल सेकंड वर्ल्ड वॉर के दौरान जर्मनी ने फ्रांस के खिलाफ 6 सितंबर 1944 को किया था और उसकी दो दिन बाद इस मिसाइल से लंदन को भी टारगेट किया गया था

 

 अगर भारत  की बात करें तो आज हमारे पास ऐसी बैलेस्टिक मिसाइल्स मौजूद है बैलेस्टिक मिसाइल्स को रेंज के बेसिस पर निम्न भागो में  डिवाइड किया जा सकता है 

  1. इंटरकंटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM): ये मिसाइलें अत्यंत लंबी दूरी तक पहुंच सकती हैं, आमतौर पर देशों के बीच अंतरालिक युद्ध के लिए उपयोग की जाती हैं।
  2. सब-स्ट्रेटीक बैलिस्टिक मिसाइल (SSBM): ये मिसाइलें समुद्री जलमार्ग के माध्यम से लॉन्च की जाती हैं, और खासकर समुद्री द्वीपों पर स्थित उपकेंद्रों के लिए विकसित की गई हैं।
  3. सबमरीन बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM): ये मिसाइलें समुद्री जलमार्ग के माध्यम से उच्च सक्रियता के साथ लॉन्च की जाती हैं और खासकर उपकेंद्रों को लक्ष्य बनाने के लिए उपयोग की जाती हैं।
  4. इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (IRBM): ये मिसाइलें देशीय और आंतर्राष्ट्रीय लक्ष्यों के लिए उपयोग की जाती हैं और मध्यम दूरी तक पहुंच सकती हैं।
  5. टैक्टिकल बैलिस्टिक मिसाइल (TBM): ये छोटे दूरी तक पहुंचने वाली मिसाइलें होती हैं और आमतौर पर स्थानीय या क्षेत्रीय संघर्ष के लिए उपयोग की जाती हैं।

क्रूज मिसाइल काम कैसे करता है

क्रूज मिसाइल अनगाइडेड मिसाइल को कहा जाता है जो किसी फिक्स पैराबोलिक मोशन एट ट्रांजैक्ट्री को फॉलो नहीं करती सामान्यता क्रूज  मिसाइल्स पृथ्वी की सतह  से 15 से 20 किलोमीटर की ऊंचाई पर चलती है यानी मिसाइल पृथ्वी एटमॉस्फेयर के अंदर रहकर ही ऑपरेट करती है लेकिन कुछ केसेस में मिसाइल्स को इससे भी हायर एल्टीट्यूड तक वर्टिकली लॉन्च किया जाता है 

बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइल में अंतर 

मिसाइल्स कभी भी 100 किलोमीटर से ज्यादा एटीट्यूड को टच नहीं करती की सबसे खास बात यह होती है कि अपना पथ  खुद ही चुन  लेती है यानी एक बार अगर क्रूज मिसाइल के रडार पर किसी टारगेट को लॉक कर दिया जाता है तो फिर उसका बच पाना  लगभग ना मुमकिन है

 

 किसी टारगेट को फॉलो करते समय यदि वह टारगेट अपनी जगह से थोड़ा भी इधर-उधर मूव कर जाए तो यह मिसाइल भी टारगेट के चेंज लोकेशन पर पहुंचकर उसे डिस्ट्रॉय कर देती है इस तरह की मिसाइल्स का इस्तेमाल अपने बहुत ही हॉलीवुड मूवीस में देखा होगा मिसाइल किसी टारगेट को तब तक फॉलो करते हैं जब तक को टारगेट या पास में आने वाली किसी दूसरे ऑब्जेक्ट को हिट नहीं कर देता 

 

 मोस्टली जेट इंजन  का इस्तेमाल होता है क्रूज मिसाइल्स के जेट इंजन में फ्लेमेबल एक्सपोजन का इस्तेमाल किया जाता है और इसी की वजह से यह अपने टारगेट तक पहुंचाने और उसे हिट करने में सक्षम होती है

बैलिस्टिक मिसाइल्स की तरह क्रूज मिसाइल का इस्तेमाल भी सेकंड वर्ल्ड वॉर के समय देखने को मिला था जब जर्मनी ने को फ्लाइंग स्ट्रैटेजिक मिसाइल V1 नाम की क्रूज मिसाइल को डेवलप किया था बाद में 1960s-70s के दौरान यूनाइटेड स्टेट्स और सोवियत यूनियन ने कुछ ऐसी क्रूज को डेवलप किया जो न्यूक्लियर कन्वेंशनल वारहेड्स को ले जाने सक्षम थी 

 आज आधुनिक  क्रूज मिसाइल्स में जीपीएस तकनीक कभी इस्तेमाल किया जाता है ताकि टारगेट को एक्यूरेसी के साथ हिट किया जा सके

 

इनको तीन कैटिगरीज में डिवाइड किया गया है 

सब सोनिक

सुपर सोनिक 

 हाइपरसोनिक

सोनिक मिसाइलें:

  • सोनिक मिसाइलें ध्वनि की गति से तेज चलती हैं।
  • इन्हें आक्रमण के लिए उपयोग किया जाता है।
  • सोनिक मिसाइलें तेजी से हवा में प्रवेश करती हैं, जिससे उन्हें रोकना मुश्किल होता है

 

सुपर सोनिक मिसाइलें:

  • सुपर सोनिक मिसाइलें ध्वनि से अधिक गति में चलती हैं।
  • इन्हें आक्रमण और बहुत कम समय में कार्रवाई के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • सुपर सोनिक मिसाइलें आक्रमक योजनाओं को तत्काल पूरा करने के लिए तैयार होती हैं।

 

हाइपरसोनिक मिसाइलें:

  • हाइपरसोनिक मिसाइलें ध्वनि से कई गुना अधिक गति में चलती हैं।
  • इन्हें अत्यधिक लचीला और अचानक हमलों के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • हाइपरसोनिक मिसाइलें सुरक्षा की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होती हैं।

 आज इंडिया के पास प्रमुख मिसाइल ब्रहमोस  और निर्भय जैसी क्रूज मिसाइल्स मौजूद है  ब्रह्मोस  मिसाइल को रूस के साथ मिलकर डेवलप किया है अगर हम साइज या वारंट कैपेसिटी की बात करें तो बैलिस्टिक मिसाइल क्रूज  मिसाइल की कंपैरिजन में काफी बड़ी और ज्यादा वारहेड कैपेबल होती है लेकिन साइज में स्मॉल होना मिसाइल पर एक एडवांटेज भी प्रोवाइड करता है साइज में छोटा होने की वजह से क्रूज मिसाइल्स को आसानी से इंटरसेक्ट नहीं किया जा सकता वही बेसिक मिसाइल्स अपने साइज की वजह से सिस्टम पर इसलिए डिटेक्ट हो जाती है

बैलिस्टिक मिसाइल्स का आसानी से डिटेक्ट होने के पीछे एक और कारण उसका पैराबोलिक मोशन या उसके त्रिजेक्ट्री को भी माना जाता है ऐसे इसलिए है कि लांच होने के बाद बैलिस्टिक मिसाइल सबसे पहले अर्थ के लोअर ऑर्बिट तक 1500 से 2000 किलोमीटर एल्टीट्यूड को पार करती है

इसलिए डिस्टेंस को कवर करने में उसे कुछ मिनिट्स लग जाते हैं जो किसी एंटी मिसाइल सिस्टम को इस इंटरसेप्ट करने का पर्याप्त समय दे देता है क्रूज मिसाइल की बात करें तो लांच होने के बाद भी मिसाइल 100 से भी कम किलोमीटर का लाइनर एल्टीट्यूड कर करती है जिसकी वजह से इन्हें इतनी आसानी से इंटरसेप्ट नहीं किया जा सकता

लेकिन ऐसा भी नहीं है कि डिसएडवांटेज की वजह से बैलिस्टिक मिसाइल हर फ्रेंड में क्रूज मिसाइल से पीछे है अगर आपकी नीड किसी दुरी वाले टारगेट को हिट करने की है तो बैलिस्टिक मिसाइल आपका सबसे अच्छा ऑप्शन है मुकाबला बैलिस्टिक मिसाइल कई गुना ज्यादा दूर के लक्ष्य को भेजने की क्षमता रखती है 

 

बैलिस्टिक मिसाइल और क्रूज मिसाइल को स्पीड के आधार पर भी डिफरेंटशिएट किया जा सकता है 

१. बैलिस्टिक मिसाइल क्रूज मिसाइल की कंपैरिजन में ज्यादा स्पीड को चिप करती है ऐसा इसलिए क्योंकि उससे ज्यादा एटीट्यूड को कर करना होता है एक एस्टीमेट के अकॉर्डिंग बैलिस्टिक मिसाइल आईबीएम रोली 24 मार्क्स स्पीड को टच कर सकती है वहीं दुनिया की बेस्ट हाइपरसोनिक मिसाइल भी 5-7 मैक से ज्यादा  स्पीड अचीव नहीं कर पाई है

२.बैलिस्टिक  मिसाइल ज्यादा कॉस्टली होती है इस मिसाइल को डेवलप करने में क्रूज मिसाइल के कंपैरिजन में बहुत ज्यादा इन्वेस्टमेंट रिक्वायर्ड होती है आज हमारे पास एचटीसी एयर डिफेंस बैलिस्टिक क्रूज और एंटी मिसाइल जैसे कई मिसाइल सिस्टम मौजूद है 

 

निष्कर्ष ; आज इंडिया इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल यानी आईबीएम को रखने वाली दुनिया के साथ देश में से एक है और एंटी बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम को रखने वाला फोर्थ नेशन है हालांकि दुनिया के बाकी बड़े देशों के पास हमसे भी ज्यादा एडवांस्ड मिसाइल सिस्टम मौजूद है और इसीलिए भारत के लिए एक लंबा रास्ता बाकी है  और उसे रास्ते को कवर करने के लिए हमें लगातार  रिसर्च एंड डेवलपमेंट को आगे बढ़ाना होगा ये सभी जानकारी विकिपीडिया और इन्टरनेट से ली गई है

 

इसके साथ आप हमारे द्वारा लिखे गए अन्य आर्टिकल को भी पढ़ सकते है जो आपकी आधिकारी बनाने की यात्रा में मददगार साबित होगी जिनकी लिंक नीचे  दी गई है

सरकारी योजनाये नोट्स 2024- सभी ssc ,upsc और स्टेट परीक्षाओ के लिए नोट्स

 

 

Leave a Comment