प्रतिहार वंश का इतिहास-pratihar vansh rajasthan history notes 2024

प्रतिहार वंश का इतिहास

दोस्तों आपका स्वागत हमारे राजस्थान हिस्ट्री की सीरीज में जिसमे हम आज प्रतिहार वंश का इतिहास के बारे में पढेंगे और विस्तार से समझेगे की किस तरह उनकी उत्पति शासन और प्रमुख राजाओ के बारे में और ये समझेगे की ये वंश इतिहास के पन्नो पर किस तरह आपनी छाप छोड़ा है तो चलिए शुरू करते है प्रतिहार वंश का इतिहास

  1. प्रतिहार वंश का इतिहास
    1. प्रतिहार वंश की उत्पति
    2. प्रतिहार वंश की मण्डोर शाखा
    3. प्रतिहार वंश की भीनमाल शाखा

प्रतिहार वंश का इतिहास

प्रतिहार वंश (गुर्जर प्रतिहार)

→ छठी से 12 वीं शताब्दी – गुर्जर प्रतिहार वंश का शासन ↳ 8वीं से 10वीं शताब्दी – शक्तिशाली

→ राजस्थान में दो प्रमुख केन्द्र – मण्डोर व भीनमाल

→ बादामी के चालुक्य नरेश पुल्केशिन II के एहोल अभिलेख के अनुसार में गुर्जर जाति का उल्लेख आभिलेखिक रूप में सर्वप्रथम हुआ।

→ चीनी यात्री हवेनसांग ने इनकी राजधानी पीलोमोलो / भीनमाल बताई। तथा अपनी पुस्तक “सी.यू. की.” में गुर्जर प्रतिहार शब्द का प्रयोग किया।

→ इतिहासकार रमेश मजूमदार के अनुसार गुर्जर प्रतिहारों ने 6th से 12 वीं शताब्दी तक अरब आक्रमणकारियों के लिए बाधक का काम किया।

→ मिहिरभोज के ग्वालियर अभिलेख में नागभटर को “राम का प्रतिहार एवं विशुद्ध क्षत्रीय कहा है।

→ मंदिर एवं स्थापत्य कला शैली – ” महामारू शैली / गुर्जर प्रतिहार शैली

गुर्जर प्रतिहार नाम एवं उत्पत्ति:-

नीलकुण्ड, राधनपुर, देवली व करडाह शिलालेख में प्रतिहारों को गुर्जर कहा है।

→ अरब यात्रियों ने “जुर्ज” कहा।

→ अलमसूदी गुर्जर प्रतिहार को अल गुर्जर‘ तथा प्रतिहार राजा को “बौरा” कहकर पुकारा

प्रतिहार वंश की उत्पति

डॉ. वी.ए स्मिथ एवं स्टेनफेनो → श्रीमाल / भीनमाल का मानते है।

→ केनेडी महोदय → ईरानी मूल का बताया

→ कनिधम → शकों व यूचियों की संतान

→ स्मिथ, ब्यूलर व हर्नले → हुणों की संतान

→ मुहणोत नैणसी ने प्रतिहारों की 26 शाखाओं का वर्णन किया।

→ उद्योतन सूरी ने 778 ई. में कुवलयमाला” ग्रंथ मिला। – 18 भाषाओं का उल्लेख

→ राजस्थान में इनके बारे में जानकारी “घंटियाला अभिलेख” जोधपुर से प्राप्त होती है। ”

→ मूल पुरुष → हरिशचन्द्र

कुलदेवी – चामुण्डा माता

हरिशचन्द्र / रोहिलद्धि → राजधानी – मण्डोर

– ब्रह्मण पत्नी – क्षत्रीय पत्नी

भद्रा

भोगभट्ट। , कक्क , रण्जिल, दह
↓ पोता
नागभट्ट प्रथम

नागभट्ट प्रथम (730-760)

→ चावडो़ से भीनमाल छीना
→ मेड़ता को राजधानी बनाता।

→ प्रतापी शासक
→ नागावलोक भी कहते हैं।→दरबार → नागावलोक का दरबार

→ मेड़ता → भीनमाल → उज्जैन

→ ग्वालियर प्रशस्ति में मलेच्छों का नाशक / नारायण कहा गया

→ नागभट्ट को ग्वालियर प्रशस्ति में ‘राम का प्रतिहार”. ‘मेघनाद के युद्ध का अवरोधक ‘इन्द्र के गर्व का नाशक, नारायण की मूर्ति का प्रतीक कहा गया

→ भीनमाल (जालौर), कन्नौज व अवन्ती प्रतिहारों की नामावली नागभट्‌ट से प्रारंभ

→ नागभट्ट के टाइम उज्जैन शक्ति का केन्द्र – राजधानी बना

→ राजधानी मण्डोर से मेड़ता ट्रांसफर की

→ सिंघ के अरब शासकों को हराया

नागभट्ट 1th – पुत्र – भोज प्रतिहार यशोवर्द्धन

चंदुक

शीलुक

झोट प्रतिहार

भीलादित्य

कक्क

कक्क → व्याकरण, ज्योतिष का ज्ञाता व एक कवि था।

बाउक

कक्कुक ( 861) में 2 शिलालेख लिखवाए – घटियाला शिलालेख

→ मण्डोर मे विजय स्तम्भ बनाया तथा इसके नीचे विष्णु मंदिर ↓

– राजपुताना का 2nd विजय स्तम्भ
(1st – भीमलाट) → बयाना

* नागभट्ट प्रथम – (730-760) ई

↳ संस्थापक

प्रतिहार शासक जिसने सर्वप्रथम जालौर को राजधानी बनाया

* रघुवीर प्रतिहार शाखा भी कहते है।

प्रतिहार साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक

देवराज (भतीजा) रानी भूमिका देवी से →। वत्सराज

* वत्सराज →
रानी सुंदरी देवी
रणहस्तिन

→ इन्हीं के समय में 778 ई. में उद्योतन सूरी ने ‘कुवलयमाला व 783 ई. में जैन आचार्य जिनसेन ने “हरिवंश पुराण ग्रंथ लिखा

→ राष्ट्रकूट ध्रुव ने इसे पराजित किया

→ पाल शासक धर्मपाल को पराजित किया

→ इन्द्रायुद्ध को हराकर कन्नौज पर अधिकार

→ Osian के जैन मंदिर व सरोवर का निर्माता

☆ नागभट्ट – II गंगा जल में समाधि ली – बकुला अभिलेख में “परम भट्टारक महाराजाधिराज परमेश्वर की उपाधि धारण की

→ राष्ट्रकूट नरेश गोविन्द Ⅲ ने इसे पराजित किया

→ कन्नौज के चक्रायुध को परास्त करने के बाद नागभट्ट‍‍ 2nd कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया

– प्रतिहारों की कन्नौज शाखा का प्रारंभ

★ रामभद्र (833-836ई) – नागभट्ट का पुत्र

↳ हत्या – पुत्र मिहिरभोज ने की

राजा भोज / मिहिरभोज (836-885ई.)

→ आदिवराह व प्रभास की उपाधि

→”प्रतिहारों में पितृहन्ता”

→ ग्वालियर प्रशस्ति की रचना

अरब यात्री सुलेमान इसके समय भारत आया था (851 ई ) मे
→ सुलेमान ने भोज को इस्लाम का सबसे बड़ा शत्रु कहा

→ सुलेमान ने गुर्जर राजवंश की सैन्य शक्ति व समृद्धि का उल्लेख किया है।

→ राष्ट्रकूट नरेश कृष्ण 2nd को परास्त किया

→ पाल शासक देवपाल को हराया

→ रचित ग्रंथ – श्रृंगार प्रकाश, शब्दानुसान, आयुर्वेद सर्वस्व, राजमृगांक, सरस्वती कण्ठा‌भरण, राजमार्तण्ड कृत्य कल्पतरू व योगसूत्र आदि

☆ महेन्द्रपाल s/० मिहिरभोज

M – चन्द्र भट्टारिका

→ दरबारी कवि “राजशेखर’ ने “रघुकुल चूड़ामणिः, निर्भयराज व निर्भय नरेश कहा।

→ राजशेखर ने अपने ‘विद्‌धशाल भञ्जिका’ में ‘रघुकुल तिलक’ कहा।

→ परमभट्टारक, परमभागवत, महाराजाधिराज व परमेश्वर आदि की उपाधियाँ धारण की

→ राजशेखर ने कर्पूर मंजरी, काव्यमीमांसा, बालरामायण, बालभारत ,भुवनकोश, हरविलास, विद्धसालभञ्जिका नामक ग्रंथ लिखें

→ पाल – राष्ट्रकूट संयुक्त सेना को हराया।

☆ भोज Ⅱ (910ई-913ई.)

* महिपाल I (913-943 ई.)

क्षितिपाल → विनायक पाल → हेरम्भपाल

→ राजशेखर कुछ समय तक इसके दरबार में रहा।

↳ महिपाल 1th को’ रघुवंश मुकुटमणि’, रघुकुल मुक्तामणि व ‘आर्यावर्त का महाराजाधिराज’ कहा।

अरबयात्री ‘अंलमसूदी’ इसके समय भारत आया

महिपाल 1th →विनायकपाल →महिपाल2nd→विजय पाल →राज्यपाल →त्रिलोचनपाल→ यशपाल

अंतिम प्रतिहार शासक

→ राज्यपाल के समय Dec 1018 में कनौज पर गजनवी का आक्रमण राज्यपाल → 9-2-11

बाद में चंदेल शासक विद्याधर ने राज्यपाल को मार दिया

→ त्रिलोचन के समय (1019) में पुन : गजनवी का आक्रमण

धरधर

OTHER FACTS

→ प्रतिहारों की सर्वाः प्राचीन शाखा – मण्डोर

→ राजोरगढ़ का शानदार कलात्मक वैभव – गुर्जर प्रतिहार युग

→ प्रसिद्ध इतिहास बी.एन पाठक ने महेन्द्रपाल 1th को हिन्दु भारत का अंतिम महान हिन्दु सम्राट कहा।

→ प्रतिहार शिलालेख में पदाधिकारी – राजपुरूष कहलाते

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रणथंभौर के चौहान वंश notes 2024 ,

शाकम्भरी व अजमेर चोहान वंश उत्पत्ति मत इतिहास युध्द शाखा

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