राजस्थान के लोक नृत्य नोट्स : RPSC, SSC रेलवे के लिए उपयोगी नोट्स 2024

पिछले ब्लॉग में हमने पढ़ा कश्मीर के लोक नृत्य, छत्तीसगढ़ के लोक नृत्य, उड़ीसा के लोक नृत्य, वह आंध्र प्रदेश के लोक नृत्य के बारे में और अच्छी तैयारी के लिए RPSC एग्जाम की तैयारी करे। राजस्थान के लोक नृत्य के नोट्स पढ़े व अपनी परीक्षा की ताबड़तोड़ तैयारी करें।

Table of Contents

राजस्थान के लोक नृत्य नोट्स

1. क्षेत्रीय नृत्य
2. धार्मिक नृत्य
3. जातीय नृत्य
4. व्यावसायिक नृत्य

क्षेत्रीय नृत्य:

1. मेवाड़ क्षेत्र के नृत्य:-

1. गेर नृत्य :



मेवाड़ व बाड़मेर के अंदर युवा नृत्य विशेष तौर पर किया जाता है होली के अवसर पर यह नृत्य किया जाता है होली के दूसरे दिन इसकी शुरुआत होती है तथा 15 दिन तक यह नृत्य किया जाता है पुरुषों द्वारा लकड़ी की छड़िया लेकर गोल घेरा बनाकर यह नृत्य किया जाता है यह पुरुष प्रधान नृत्य है

2. रण नृत्य

मेवाड़ क्षेत्र में सरगडा़ जाति द्वारा यह नृत्य किया जाता है पुरुषों द्वारा यह नृत्य किया जाता है दो पुरुष हाथों में तलवार लेकर युद्ध कौशल प्रदर्शन करते हैं

3.हरणी /लोवडी़ नृत्य

मेवाड़ क्षेत्र में बालकों की टोली दीपावली पर घर-घर घूम कर नृत्य कला का प्रदर्शन करते हैं

4.भवाई नृत्य

भवाई नृत्य के प्रवर्तक (बाघाजी) केकड़ी
भवाई जाति के पुरुष व महिलाओं द्वारा यह नृत्य किया जाता है भवाई नृत्य महिलाओं द्वारा सर पर 5 से 10 घड़ों को रखकर यह नृत्य किया जाता है इसके साथ ही मुंह से रुमाल उठाने की कला भी शामिल है तलवारों एवं कांच पर चलकर नृत्य कला का प्रदर्शन किया जाता है

प्रसिद्ध कलाकार :

रूप सिंह शेखावत,श्रेष्ठा सोनी ,अस्मिता काला ,तारा शर्मा, दयाराम

*भारत का पहला भवाई नृतक कृष्णा व्यास छगानी
*अस्मिता काला: यह प्रसिद्ध भवाई नृत्यांगना है जिन्होंने 111 घड़े सर पर रखने का लिम्फा बुक ऑफ रिकॉर्ड बनाया

2. शेखावाटी क्षेत्र के नृत्य

1. गीदड़ नृत्य:

होली के अवसर पर केवल पुरुषों द्वारा एवं नृत्य किया जाता है इसमें पुरुष महिलाओं के कपड़े पहन कर भी नृत्य करते हैं जिसे गणगौर / महरी कहते हैं

2. चंग /ढप नृत्य

होली के अवसर पर किया जाने वाला नृत्य है

3. कच्छी घोड़ी नृत्य

राजस्थान के लोक नृत्य नोट्स

यह नृत्य वीर रस प्रधान है जिसमें पुरुषों द्वारा लड़ी से बनी घोड़ी के साथ नृत्य किया जाता है जो नृत्य विवाह के अवसर पर भी किया जाता है जिनमें हाथों में तलवार लेकर कला का प्रदर्शन करते हैं इस नृत्य के प्रसिद्ध कलाकार छवरलाल गहलोत व गोविंद पारीक थे

4. ल्हुर नृत्य

इस नृत्य में एक अभिनेता एवं अभिनेत्री रूप धारण करके नृत्य करते हैं

5. जिन्दाद नृत्य

पुरुष एवं महिलाओं द्वारा ढोलक वाद्य यंत्र पर यह नृत्य किया जाता है

3 जालौर क्षेत्र के नृत्य

1. ढोल नृत्य

राजस्थान के लोक नृत्य नोट्स

जालौर क्षेत्र का यह प्रसिद्ध नृत्य है विवाह के अवसर पर इस नृत्य को किया जाता है जालौर में ही इस नृत्य का प्रारंभ हुआ एवं थाकाना शैली में ढोल बजाकर यह नृत्य किया जाता है इस नृत्य को प्रकाश में लाने का श्रेय जय नारायण व्यास को जाता है

2. लूंबर नृत्य

यह नृत्य होली के अवसर पर केवल महिलाओं द्वारा किया जाता है

3 जालौर क्षेत्र के नृत्य

1. गुड़ला नृत्य

युवा नृत्य चैत्र कृष्ण अष्टमी के दिन किया जाता है यह नृत्य रात्रि में क्या जाता है कोमल कोठारी ने इस नृत्य को सर्वाधिक प्रसिद्ध करवाया

2.डाडि़या नृत्य

मारवाड़ क्षेत्र में पुरुषों द्वारा यह नृत्य किया जाता है नृत्य के दौरान बड़ली के भेरुजी को याद किया जाता है

3. झांझी नृत्य

यह मारवाड़ क्षेत्र में महिलाओं द्वारा नृत्य किया जाता है

5. भरतपुर क्षेत्र के नृत्य

1. बम नृत्य /बम रसिया

राजस्थान के लोक नृत्य नोट्स

यह भरतपुर का प्रसिद्ध नृत्य है पुरुषों द्वारा नगाड़ा बजाकर गीत गाया जाता है जिसे बम रसिया कहते हैं विशेष तौर पर यह नृत्य भरतपुर व अलवर में किया जाता है फाल्गुन के समय नई फसल आती है उस समय यह नृत्य किया जाता है

2. चरकुला नृत्य

भरतपुर में महिलाओं द्वारा यह नृत्य किया जाता है जिसमें सर पर बैलगाड़ी का पहिया लेकर उसे पर दीपक रखकर नृत्य किया जाता है

3. हुंरगा नृत्य

6. जैसलमेर क्षेत्र के नृत्य

1. हिंडोला नृत्य

यह नृत्य पुरुषों एवं महिलाओं द्वारा मिलकर किया जाता है तथा नृत्य के दौरान अपने पूर्वजों का आवाहन करते हैं

7. बाड़मेर क्षेत्र के नृत्य

1 . कानूडा़ नृत्य

यह नृत्य बाड़मेर के चौहटन में कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर किया जाता है

2. गैर नृत्य

राजस्थान के लोक नृत्य नोट्स

मेवाड़ और बाड़मेर का प्रसिद्ध नृत्य है होली के अवसर पर यह नृत्य किया जाता है

8. झालावाड़ क्षेत्र के नृत्य

1. बिन्दौरी नृत्य

यह झालावाड़ क्षेत्र का प्रसिद्ध नृत्य है यह वीर रस प्रधान नृत्य है तथा आजकल विवाह के अवसर पर भी किया जाता है

2. ढोला मारू नृत्य

यह नृत्य भवाई जाति के लोगों द्वारा किया जाता है यह कई क्षेत्रों का नृत्य है

भांगड़ा नृत्य : (श्रीगंगानगर)

मोहिली नृत्य: (प्रतापगढ़) महिलाओं द्वारा विवाह के अवसर पर गोल घेरा बनाकर यह नृत्य किया जाता है

खारी नृत्य :(अलवर) मेवात क्षेत्र का प्रसिद्ध नृत्य है यह विवाह के अवसर पर किया जाता है

कबुतरी नृत्य: (चूरू) इस नृत्य को पेशेवर महिलाओं द्वारा किया जाता है

मयुर नृत्य :(अजमेर) ब्यावर में बादशाह के मेले में बादशाह की सवारी के आगे बीरबल का पात्र निभाने वाले व्यक्ति के द्वारा किया जाता है इसे भैरव नृत्य भी कहते हैं

नाहर नृत्य:मांडल(भीलवाड़ा) होली के 13 दिन बाद दो-तीन व्यक्तियों द्वारा पोशाक पहनकर नृत्य किया जाता है पहले के समय में बादशाह के मनोरंजन के लिए भी किया जाता था

पेजण नृत्य: (वागड़) दीपावली के अवसर पर पुरुष महिला की वेशभूषा धारण करके नृत्य किया जाता था

गरबा नृत्य:(वागड़) गुजरात का प्रसिद्ध नृत्य है यह नवरात्रा के अवसर पर किया जाता है गुजरात के अनेकों क्षेत्र में किया जाने वाला यह नृत्य है तथा राजस्थान मे भी यह नृत्य किया जाता है

पालीनोच नृत्य (बांसवाड़ा) केवल विवाह के अवसर पर किया जाने वाला सामूहिक नृत्य है

चोगोला नृत्य (डूंगरपुर) होली के अवसर पर किया जाने वाला नृत्य है होलिका दहन के समय चारों तरफ घूमकर नृत्य किया जाता है

2.राजस्थान के धार्मिक नृत्य

1. डांग नृत्य (नाथद्वारा) राजसमंद

कृष्ण का वल्लभ संप्रदाय, इसमे नृतक देवर भाभी आपस में रंग डालकर नृत्य करते हैं

2. सांकल नृत्य (गोगामेड़ी) ददरेवा

इस नृत्य में कलाकारों द्वारा सांकल से पीठ पर वार किया जाता है गोगा जी के जागरण में डेरु वाद्य यंत्र के द्वारा यह नृत्य किया जाता है

3.थाली नृत्य (कोलुमंड) जोधपुर

पाबूजी के भक्तों द्वारा रावण हत्था वाद्य यंत्र पर किया जाता है जोधपुर में सर्वाधिक किया जाता है

4.लांगुरिया नृत्य (करौली)

यह करौली में केला देवी कालीशिल मंदिरों में नृत्य किया जाता है यह विशेष तौर पर मीणा जनजाति द्वारा किया जाता है

5. तेरह ताली नृत्य ( पाली) रामदेवरा

यह रामदेव जी के मेले में विशेष रूप से किया जाता है यह कामड़ जाति के महिलाओं द्वारा बैठकर किया जाने वाला नृत्य है इस नृत्य में पुरुष द्वारा चौतारा / तानपुरा बजाया जाता है महिला इस नृत्य में 13 मंजीरे पहन कर नृत्य करती है तेरह ताली नृत्य की शुरुआत पदरला जगह से हुई

प्रसिद्ध कलाकार: मांगी बाई,मोहनी बाई, नारायणी बाई
1954 मे गाडीया लोहार सम्मेलन चित्तौड़गढ़ में हुआ जहां पर नेहरू बाई के सामने मांगी बाई ने यह नृत्य किया था

6.अग्रि नृत्य (बीकानेर)

अग्रि नृत्य जसनाथी संप्रदाय के अनुयायी जाट सिद्ध के द्वारा किया जाता है अंगारों पर चलकर नृत्य किया जाता है यह केवल पुरुषों द्वारा किया जाता है
इस नृत्य को महाराजा गंगा सिंह ने संरक्षण दिया

3. राजस्थान के जातीय लोक नृत्य

1. भील जाति के नृत्य :

गैर नृत्य
गवरी / राई नृत्य
युद्ध नृत्य,
रमणी नृत्य,
द्विचक्री नृत्य,
घुमरा नृत्य,
हाथीमना नृत्य,
भगोरिया नृत्य,
सुकर नृत्य

2. गरासिया जनजाति के नृत्य

गोल नृत्य
लूर नृत्य: लुर गोत्र की महिलाओं द्वारा मेले व शादी के अवसर पर किया जाता है
मांदल नृत्य:- केवल महिलाओं द्वारा यह नृत्य किया जाता है
मोरिया नृत्य
जवारा नृत्य
वालर नृत्य:-
सिरोही का प्रसिद्ध नृत्य है बिना वाद्य यंत्र के द्वारा यह नृत्य किया जाता है स्त्री व पुरुष दोनों इस नृत्य को करते हैं
रायण नृत्य
कूद नृत्य:- स्त्री और पुरुषों द्वारा पंक्तिबद्ध होकर यह नृत्य किया जाता है
दोह नृत्य
गरवा नृत्य

3.सहरिया जनजाति के नृत्य

*शिकारी नृत्य
*झेला नृत्य
*लंहगी नृत्य
*इंद्रपरी नृत्य

3.सहरिया जनजाति के नृत्य

इंडोणी नृत्य:- कालबेलिया स्त्री व पुरुष द्वारा गोलाकार पथ पर पुंगी लेकर नृत्य किया जाता है
पणिहारी नृत्य
बिछोडो़ /बिथोडो़ नृत्य

बागड़ियां नृत्य :- भीख मांगते समय चंग वाद्य यंत्र के साथ किया जाता है
शंकरिया /शक्करिया नृत्य :- यह एक युगल नृत्य है यह कालबेलिया का आकर्षण नृत्य है
कालबेलिया नृत्य
बिछोडों /बिथोडों, बागड़िया नृत्य को गुलाबो सपेरा (अजमेर) ने इस नृत्य को किस सुप्रसिद्ध बनाया
प्रसिद्ध नृत्यांगना (कंचन सपेरा , कमली , राजकी)

5. कथोडी़ जनजाति के नृत्य

• होली नृत्य
• मावा नृत्य / मावलिया नृत्य :- यह एक महाराष्ट्र की जनजाति है इस जनजाति की महिलाए मराठी अंदाज में साड़ी पहनकर नृत्य करती है जिसे फड़का कहते हैं

6. बंजारा जाति के लोक नृत्य :-

• मछली नृत्य – बाड़मेर का प्रसिद्ध नृत्य है पूर्णिमा के रात में जब पूरा चांद दिखता है उसे अवसर पर किया जाता है नृत्य की शुरुआत खुशी के साथ इसका अंत दुख के साथ होता है केवल कुंवारी कन्याओं द्वारा यह नृत्य किया जाता है

7. गुर्जर जाति के लोक नृत्य :-

चरी नृत्य

राजस्थान के लोक नृत्य नोट्स

प्रसिद्ध नृत्यका फल्कू बाई (किशनगढ़) महिलाएं अपने सिर पर चरी ( कलश )लेकर उसमें कपास के बीज डालकर नृत्य करती है।
• झुमर नृत्य:- पुरुषों द्वारा यह नृत्य किया जाता है इसमें झुमरा वाद्य यंत्र का प्रयोग होता है

8. कंजर जाति के लोक नृत्य

• धाकड़ नृत्य
• लाठी नृत्य
• चक्री नृत्य -कंजर जाति का सबसे प्रसिद्ध नृत्य है

9. मेव जाति के लोक नृत्य

• रण बाजा नृत्य :- मेव जाति के स्त्री एवं पुरुषों द्वारा नृत्य किया जाता है
• रत वई नृत्य:- अलवर क्षेत्र में मेव जाति की महिलाओं एवं स्त्रियों द्वारा चूड़ियां खनखनाते हुए नृत्य किया जाता है इसमें पुरुष अलगोजा व टामक वाद्य यंत्र बजाते हैं

10. भोपा जनजाति के नृत्य

• पड़ / फड़ नृत्य

11. मीणा जनजाति के लोक नृत्य

• रसिया नृत्य
• नेजा नृत्य

12. डामोर जाति के लोक नृत्य

• भरटिया नृत्य – मृत्यु के अवसर पर यह नृत्य किया जाता है
• परणिया नृत्य – विवाह के अवसर पर किया जाता है



13. नट जाति

कठपुतली नृत्य

14. कुम्हार जाति

चाक नृत्य -विवाह अवसर पर कुम्हार के घर पर चाक लेने जाते समय किया जाता है

15. हरिजन जाति

बोहरा /बोहरी नृत्य

16. माली जाति

चरवा नृत्य – माली समाज की महिलाओं द्वारा संतान उत्पत्ति पर किया जाता है

4. व्यावसायिक नृत्य

घूमर नृत्य

राजस्थान के लोक नृत्य नोट्स

राजस्थान के नृत्य की आत्मा है घूमर नृत्य लोक नृत्य का सिरमौर इसे रजवाड़ी नृत्य भी कहा जाता है राजस्थान का राज्य नृत्य है गणगौर के अवसर पर किया जाता है


• कत्थक नृत्य :- यह शास्त्रीय नृत्य है इसका प्रवर्तक भानु जी थे तथा बिरजू महाराज को भी माना जाता है कत्थक शैली का घराना जयपुर माना जाता है कत्थक नृत्य के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त बिरजू महाराज थे
• भवाईनृत्य
• तेरह ताली नृत्य
• कच्छी घोड़ी नृत्य
• ढोल नृत्य
• चरी नृत्य

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