आंध्र प्रदेश का लोकनृत्य

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आंध्र प्रदेश का लोकनृत्य

आंध्र प्रदेश का लोकनृत्य-आंध्र प्रदेश भारत के दक्षिणतम राज्यों में से एक हैं यहां भी नृत्य उस्मान तैयारों का अनूठा संगम दिखता है यहां वेशभूषा भाषा संस्कृति भी भारत की विविधता में चार चांद लगाने की भरपूर कोशिश करती है  जो अलग-अलग वेशभूषा तथा वाद्य यंत्र द्वारा अपने संस्कृति का पूर्ण रूप से संतुलन बनाने तथा लोगों के बीच अपनापन बनाने में योगदान दे रही है आंध्र प्रदेश के नृत्य को हम तीन भागों में बांट सकते हैं

आंध्र प्रदेश का लोकनृत्य

वीर नाट्यम नृत्य 

यह आंध्र प्रदेश के प्राचीन नृत्य में से एक है वीर नाट्यम शब्दों का अर्थ है वीरों का नृत्य । यह वीरभद्र समुदाय के लोगों द्वारा किया जाता है कि पुरुष नृत्य है इसमें वीरनम वाद्य यंत्र का उपयोग किया जाता है तथा पुरुषों द्वारा क्रोध व वीर मुद्रा बनाकर नृत्य किया जाता है

टप्पेटा गुल्लू नृत्य 

यह आंध्र प्रदेश में किया जाने वाला नृत्य है इसमें बारिश की देवता गंगम्मा को प्रसन्न करने के लिए नृत्य किया जाता है इसमें पुरुषों द्वारा गले में ढोल व पैरों में घुंघरू बांधकर नृत्य किया जाता है

बुट्टा बोम्मालु नृत्य  

आंध्र प्रदेश का लोक नृत्य हैं जो विभिन्न तैयार व उत्सव पर किया जाता है बुट्टा बोम्मालु शब्द का अर्थ है लकड़ी घास व गाय के गोबर के गोबर से बने हुए खिलौने । इसमें कलाकार भगवान कृष्ण राम हनुमान आदि के खिलौने बनाकर अपने चहरे पर मुखोटे के जैसे पहनकर नृत्य करते हैं तथा टप्पू की ताल पर लयबद्ध तरीके से नृत्य करते हैं

कोलाट्टम नृत्य 

यह आंध्र प्रदेश का फसल नृत्य हैं इसमें पुरुष व महिलाओं दोनों द्वारा किया जाता है इसमें महिलाएं सुंदर सजी हुई छड़ी का उपयोग करती है तथा गोल घेरा बनाकर स्त्री पुरुषों द्वारा नृत्य किया जाता है यह कुछ भाग गरबा के समान है

धीम्सा नृत्य 

यह आंध्र प्रदेश में किया जाने वाला नृत्य है यह अराकू घाटी में वाल्मीकि,कोंड,बागता जनजाति द्वारा किया जाता है धीम्सा नृत्य में 15 से 20 महिलाएं सुंदर साड़ी पहनकर गोल घेरा बनाकर पुरुषों द्वारा बजाए गए वाद्य यंत्र जैसे डप्पु, मोरी ,टुडूमु , किरिंडी पर डांस करती है

लम्बाड़ी नृत्य

यह नृत्य आंध्र प्रदेश में बंजारा जनजाति द्वारा किया जाने वाला नृत्य है इसमें पुरुष कलाकार वाद्य यंत्र बजाते हैं तथा महिलाएं गीत गाते हुए गोल घेरा बनाकर नृत्य करती है

गोब्बी नृत्य 

यह आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों में किया जाने वाला नृत्य है इसमें गाय के गोबर की गोविल्लो की पूजा की जाती है तथा यह संक्रांति उत्सव के दौरान किया जाने वाला नृत्य है जिसमें गांव की लड़कियां गोविल्लो के चारों तरफ नृत्य करती है

डंडारिया नृत्य यह आंध्र प्रदेश के गोंड जनजाति द्वारा किया जाने वाला नृत्य है नर्तक गांव गांव में जाकर नृत्य करते हैं यह पुरुषों द्वारा महिलाओं की वस्त्रों को पहनकर किया जाने वाला नृत्य है

इसके साथ आप अन्य राज्यों के भी नृत्यों के बारे में पढ़ सकते है जो निम्न लिखित है

केरल का नृत्य कौन सा है ?

ये सभी जानकारी हमने wikipidia और सरकारी वेबसाइट से प्राप्त की है

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