असम के लोक नृत्य की सूची,बिहू कहाँ का नृत्य है ,झुमुर कहाँ का नृत्य है ,बागुरुम्बा नृत्य कहाँ का नृत्य है ,सत्रिया नृत्य कहाँ का नृत्य है ,देवधनी कहाँ का नृत्य है ,अली ऐ लिगांग कहाँ का नृत्य है ,भोरताल कहाँ का नृत्य है ,खंबा लिम कहाँ का नृत्य है
असम, न सिर्फ अपनी चाय बगानों और एक सींग वाले गैंडों के लिए मशहूर है, बल्कि उसके लोक नृत्यों की रंगारंग दुनिया भी कम आकर्षक नहीं है। क्या आप कल्पना कर सकते हैं, ढोल की धुन पर थिरकते हुए रंगीन पोशाकधारी कलाकारों को, जिन्हें देखते ही आपका मन भी झूम उठे? अगर हां, तो फिर अपनी यात्रा का टिकट पकड़ लीजिए, क्योंकि हम असम के लोक नृत्यों के जादुई सफर पर रवाना हो रहे हैं!
असम के लोक नृत्य की सूची
यह आपको न केवल असम के लोक नृत्यों से रूबरू कराएगा, बल्कि परीक्षा में पूछे जाने वाले सवालों को जवाब देने में भी आपकी मदद करेगा।
इस सफर में क्या मिलेगा?
- असम के लोकप्रिय नृत्यों जैसे बिहू, बोरबिजुली, मणिपुरी आदि का रोचक वर्णन, उनकी उत्पत्ति, वेशभूषा, संगीत और प्रस्तुति शैली के बारे में विस्तृत जानकारी।
- हर नृत्य का सांस्कृतिक महत्व और असम के इतिहास और परंपराओं से उनका संबंध।
असम के लोक नृत्य की सूची
बिहू कहाँ का नृत्य है
असम राज्य का लोक नृत्य है इसमें चमकीली और रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर पुरुष महिलाओं द्वारा नृत्य किया जाता है इसमें महिलाएं चादोरमेखेला नामक पोशाक पहनती है तथा पुरुष गामेचा तथा धोती पहनकर करते करते हैं तथा अभी ढोल वह पेपा बजाते हैं यह प्रेम और प्रलोभन का नृत्य है यह नृत्य तीन प्रकार का होता है
रोगली
भोगली
कौगंली
झुमुर कहाँ का नृत्य है
झुमुर नृत्य असम में चाय समुदाय के बीच बहुत ही लोकप्रिय है इसमें वे अपने काम की थकान से निजात पाने के लिए नृत्य करते हैं इसे चाह बागनार झुमुर नाच भी कहा जाता है इसमे नृतक टखनों पर घुंघरू पहनते हैं और झुमुर ध्वनि उत्पन्न करते हैं यह नृत्य प्रेम तथा देवताओं से बारिश के लिए प्रार्थना के लिए किया जाता है इसमें पुरुष मांडर बजाते हैं तथा महिलाएं एक दूसरे की कमर पर हाथ रखकर नृत्य करती है
बागुरुम्बा नृत्य कहाँ का नृत्य है
यह नृत्य असम में बोडो जनजाति द्वारा किया जाता है इसे तितली नृत्य भी कहा जाता है यह बीवीशांगु उत्सव के दौरान महिला द्वारा किया जाता है। नृत्य में सेरजा,जोटा, गोगंवा वाद्य यंत्र बजाए जाते हैं
सत्रिया नृत्य कहाँ का नृत्य है
यह असम का नृत्य है यह भारतीय शास्त्रीय नृत्य में से एक है जो उसे दो सन 2000 में भारतीय नाटक अकादमी द्वारा दर्जा दिया गया । इसकी स्थापना 15वीं और 16वीं शताब्दी में श्रीमद् शंकर देव द्वारा की गई थी। इसमें तीन पाठों का चित्रण होता है जो निम्नलिखित है
रामदानी
गुरु वंदना
गीत अभिनय
देवधनी कहाँ का नृत्य है
यह असम का लोक नृत्य है जो नाग देवी मनसा को समर्पित है यह नृत्य एक पुरुष तथा तीन या चार महिला द्वारा किया जाता है इसमें नर्तक हाथों पर तलवार लेकर युद्ध नृत्य प्रस्तुत करते हैं
अली ऐ लिगांग कहाँ का नृत्य है
यह नृत्य असम में मिसिंग जनजाति द्वारा किया जाता है यह नृत्य कृषि से संबंधित है यह नृत्य आहु धान की खेती के दौरान लड़के और लड़कियों द्वारा किया जाता है
भोरताल कहाँ का नृत्य है
यह नृत्य असम में किया जाता है यह नृत्य नरहरि बुरहा भक्त द्वारा विकसित किया गया है यह सकरी संस्कृति का प्रचार करता हुआ प्रतीत होता है
खंबा लिम कहाँ का नृत्य है
असम का नृत्य है स्त्री तथा पुरुष द्वारा पंक्तियों में खड़े होकर प्रेम पुर्वक किया जाने वाला नृत्य है
असम के अन्य नृत्य
अनकिया नृत्य, ओजपली नृत्य ,भोर नृत्य
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