भाबर और तराई में अंतर

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भाबर और तराई में अंतर

भाबर और तराई में अंतर –आज हम एक महत्वपूर्ण विषय पर बात करेंगे जो UPSC, SSC और PSC परीक्षाओं में अक्सर पूछा जाता है:। ये चारों शब्द भारत के उत्तरी मैदानों की विभिन्न भौगोलिक विशेषताओं का वर्णन करते हैं। ये सभी सरचना के आधार पर बनने वाले मैदानों का विभाजन है

भाबर और तराई में अंतर

भाबर और तराई में अंतर

भाबर 

यह मैदान पर्वत के पदेन क्षेत्रों में नदियों द्वारा लाए जाने वाले हिमालय अवसादों से निर्मित होता है।
यह एक पट्टी के रूप में पर्वतों के पदेन क्षेत्रों में पाए जाते है।
यह मैदान 8-15 km. चौड़ाई में स्थित है। इस मैदानी क्षेत्र में नदियाँ बड़े अवसादों के नीचे बहती है अतः सतह पर अदृश्य हो जाती है।

तराई

यह भावर के दक्षिण में 15-30 km. चौड़ाई में विस्तृत मैदान
तराई क्षेत्र में नदी पुनः सतह पर दिखने लगती है।
इस क्षेत्र में नदी के जल का प्रवाह अनियमित होता है अतः यहाँ दलदली परिस्थितियाँ पाई जाती है।
इस क्षेत्र में गहन वनस्पति तथा विभिन्न वन्य जीव पाए जाते हैं।
पंजाब तथा UP में तराई क्षेत्र में कृषि की जाती है।
भारत में अब तराई क्षेत्र मुख्य रूप से उत्तर – पूर्वी राज्यों में पाया जाता है।

खादर

नदी के दोनों ओर बाढ़ के मैदान में पाए जाने वाले नए
अवसादों से निर्मित मैदान को खादर कहते हैं। नदी हर वर्ष मानसून के दौरान यहाँ नए अवसाद जमा करती है। ←
यह मैदान अत्यधिक उपजाऊ है तथा यहाँ सर्वाधिक उत्पादकता पाई जाती है।
पंजाब में खादर के मैदान को ‘बेट (Bet)’ कहते हैं।

भांगर

यह खादर के पास ऊँचाई पर स्थित मैदान है जो पुराने जलोढ़ अवसादों से निर्मित है।
यहाँ सर्वाधिक उत्पादन पाया जाता है।
बांगर क्षेत्र में कैल्शियम के पिण्ड (Jumps) पाए जाते हैं जिन्हें कंकड़ / कंकर कहते हैं।
बांगर क्षेत्र में अधिक अपरदन के कारण ऊपर की मुलायम मिट्टी नष्ट हो जाती है तथा पीछे कंकर युक्त भूमि रह जाती है, जिसे भूड़ ( Bhur) कहते हैं।

यह जानकारी आपको परीक्षाओं में सफल होने में मददगार होगी। हमने इस टॉपिक के साथ भूगोल विषय के और भी टॉपिक पर ब्लॉग लिखे है जो आपके एस एस सी और upsc के लिए मददगार साबित हो सकते है जिसकी  लिंक नीचे दी गई है

ज्वार-भाटा बनने के कारण

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