भारत के सभी पठार – यह भारत के दक्षिण में प्रायद्वीप में स्थित भाग है। यह गोंडवाना लैण्ड का हिस्सा था। यह भारत का सबसे पुराना भौतिक प्रदेश है। यह शील्ड ( पुराना पठार) का उदाहरण है! यह भारत का सबसे खनिज संपन्न प्रदेश है। यह भारत का सबसे बड़ा भौतिक प्रदेश है जो 16 लाख वर्ग किमी. क्षेत्र में विस्तृत है। इस पठारी प्रदेश की ऊँचाई लगभग 600 – 900 m. पाई जाती है। इस प्रदेश में बहुत से पर्वत एवं पठार स्थित है
भारत के सभी पठार
- अरावली
- मेवाड़ पठार
- मध्य भारत पठार
- बुंदेलखण्ड पठार
- मालवा पठार
- बाघेलखण्ड पठार
- दण्डकारण्य पठार
- छोटा नागपुर पठार
- मेघालय पठार
- करबी आंगलोंग पठार
- दक्कन का पठार
मध्यवर्ती उच्च प्रदेश = मेवाड़ + मध्य भारत + बुंदेलखंड + मालवा (Central Highland)
मेवाड पठार
जिस्थान में अरावली पर्वत के पूर्व में स्थित यह पठार राजस्थान है।
इस पार पर बनास नदी बहती है।
इस पठार का ढाल पश्चिम से पूर्व की ओर है।
मध्य भारत पठार
यह मध्यप्रदेश में स्थित पठार है।
इस पठार का दाल SW – NE की ओर है।
इस पठार पर चम्बल नदी बहती है जो अवनालिका अपरदन (gully Erosion) द्वारा यहाँ बीहड़ का [ Ravines] निर्माण करती है।
बुंदेलखण्ड पठार
यह पठार UP तथा MP में स्थित है।
इस पठार पर अर्थ-शुष्क परिस्थितियाँ पाई जाती
इस पठार का हाल दक्षिण से उत्तर की ओर है।
इस पठार पर केन तथा बेतवा नदियाँ बहती हैं।
यह नदियाँ यहाँ गहरी घाटियाँ बनाती है।
यह नदियाँ इस पठार से गिरते समय जलप्रपात भी बनाती हैं।
मालवा के पठार
यह पठार मुख्य रूप से M.P. में स्थित है।
यह त्रिभुजाकार पठार है।
इस पठार पर लावा की परत पाई जाती है जिसके अपक्षय से काली मिट्टी का निर्माण होता ह
इस पठार पर चम्बल तथा शिप्रा नदी बहती है। शिप्रा नदी के किनारे उज्जैन शहर स्थित है तथा यहाँ कुम्भ का मेला भी लगता है।
बाघेलखण्ड पठार
यह पगर MP तथा छत्तीसगढ़ में स्थित है। यह कैमूर पहाड़ियों के पूर्व में है।
यह पठार सोन तथा महानदी के अपवाह तंत्र को अलग करता है।
दण्डकारण्य पठार
यह पगर मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ व उड़ीसा में स्थित है। छत्तीसगढ़ में इस पगर को ‘बस्तर का पठार कहते हैं।
इस पठार पर इन्द्रावती नदी बहती है।
इस पठार पर लौह अयस्क एवं बॉक्साइट के भण्डार पाए जाते हैं।
छत्तीसगढ़ में लौह अयस्क की विख्यात खान ‘दल्ली राजहरा ‘ स्थित है।
ओडिशा में बॉक्साइट के प्रमुख भण्डार तीन प्रमुख जिलों में पाए जाते हैं :-
कालाहांड़ी
कोरापुट
बोलानगीर
छोटा नागपुर पठार
यह पठार मुख्य रूप से झारखंड राज्य में स्थित है।
इस पठार पर लौह अयस्क एवं कोयले के भण्डार पाए जाते हैं।
दामोदर नदी इस पठार को दो भागों में बाँटती है
इस पठार के उत्तरी भाग को हजारीबाग व दक्षिणी भाग को रांची
दामोदर नदी घाटी क्षेत्र में कोयले के भण्डार पाए जाते हैं।
रांची के पठार से स्वर्णरेखा नदी का उद्गम होता है।
मेघालय पठार
यह पठार छोटा नागपुर पठार का ही भाग माना जाता है।
यह मालदा भ्रंश द्वारा छोटा नागपुर पठार से अलग होता है।
इस पठार पर लौह अयस्क, यूरेनियम तथा कोयले के भण्डार पाए जाते हैं।
गारो, खासी, जैनतिया पहाड़ियाँ इस पठार पर स्थित है।
खासी पहाड़ियों पर चेरापूँजी तथा मॉसिनराम नामक स्थान पाए जाते हैं जहाँ बहुत अधिक वर्षा प्राप्त होती है।
मॉसिनराम में विश्व की सर्वाधिक औसत वार्षिक वर्षा प्राप्त होती है।
करबीआंगलोंग पठार
यह पठार असम में स्थित है।
इस पठार पर मिकिर तथा रंगमा पहाड़ियाँ स्थित हैं।
दक्कन का पठार
यह प्रायद्वीपीय भारत में स्थित त्रिभुजाकार पठार है।
इस पार परं लावा की परत पाई जाती है जिसके कारण यहाँ काली मृदा का निर्माण होता है।
काली मृदा के कारण यह भारत का सबसे प्रमुख कपास उत्पादक क्षेत्र है।
इस पठार का ढाल पश्चिम से पूर्व की ओर है।
इस पठार को तीन प्रमुख भागों में बाँटा जा सकता है
- महाराष्ट्र का पठार
- आंध्रा का पठार
- कर्नाटक का पठार
महाराष्ट्र का पठार
यह भारत का सबसे प्रमुख कपास उत्पादक क्षेत्र है। इस पठार पर गोदावरी तथा कृष्णा नदी बहती हैं।
आंध्रा का पठार
कृष्णा नदी इस पठार को विभाजित करती है
कृष्णा नदी के उत्तर में स्थित भाग = तेलंगाना
दक्षिण में स्थित भाग = रायलसीमा
पूर्वी भाग को सीमांध्रा कहा जाता है ।
कर्नाटक पठार
600m. की समोच्च रेखा इस पठार को दो भागों में बाँटती है
उत्तरी भाग = बैंगलोर का पठार
दक्षिणी भाग = मैसूर का पठार
बैंगलोर पठार पर कृष्णा तथा तुंगभद्रा नदी बहती है तथा मैसूर के पठार पर कावेरी नदी बहती है।
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