विश्व प्रमुख ठंडी और गरम महासागरीय धाराएँ नोट्स ,मानचित्र सहित व्याख्या upsc 2024

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नमस्कार,

आज हम बात करेंगे प्रमुख ठंडी और गरम महासागरीय धाराओं के बारे में, जो SSC, UPSC और PSC परीक्षाओं में महत्वपूर्ण विषय है।

क्या आप जानते हैं कि समुद्र में भी नदियां बहती हैं? जी हां, समुद्र में भी विशालकाय जल प्रवाह होते हैं, जिन्हें महासागरीय धाराएं कहा जाता है। ये धाराएं समुद्र के जल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाती हैं, जिससे पृथ्वी की जलवायु और मौसम पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

इस ब्लॉग पोस्ट में हम निम्नलिखित विषयों पर चर्चा करेंगे:

  • महासागरीय धाराएं क्या हैं?
  • महासागरीय धाराओं के प्रकार
  • प्रमुख ठंडी महासागरीय धाराएं
  • प्रमुख गरम महासागरीय धाराएं
  • महासागरीय धाराओं का महत्व
  • महासागरीय धाराओं का मानचित्र

यह ब्लॉग पोस्ट SSC, UPSC और PSC परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है।

तो आइए, समुद्र की नदियों की रोमांचक यात्रा पर निकलते हैं!

विश्व प्रमुख ठंडी और गरम महासागरीय धाराएँ, मानचित्र सहित व्याख्या

महासागरीय धाराएँ :-

जब बहुत अधिक मात्रा में महासागर का जल एक ही दिशा में प्रवाहित होने लगता है तो महासागरीय धारा का निर्माण होता है।
महासागरीय धाराओं का मुख्य उद्देश्य विषुवतरेखीय क्षेत्र में प्राप्त होने वाले अतिरिक्त सौर ऊर्जा को ध्रुवीय क्षेत्रों म तक स्थानान्तरित करना होता है।
महासागरीय धाराएँ हमेशा उच्च जल स्तर वाले क्षेत्र से निम्न जलस्तर वाले क्षेत्र तक चलती है।
जलस्तर उन क्षेत्रों में अधिक होता है जहाँ जल की आपूर्ति अधिक तथा घनत्व कम होता है।

विश्व प्रमुख ठंडी और गरम महासागरीय धाराएँ नोट्स

महासागरीय धाराओं को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक 

पृथ्वी से सम्बन्धित कारक 

ध्रुवीय क्षेत्रों में गुरुत्वाकर्षण बल अधिक होने के कारण जल का स्तर कम होता है।विषुवतरेखीय क्षेत्रों में गुरुत्वाकर्षण बल कम होने के कारण जल का स्तर उच्च होता है।घूर्णन के कारण विषुवतरेखीय क्षेत्र में महासागरीय धारा पश्चिम से पूर्व की ओर चलती है तथा विषुवत रेखा के ऊपर तथा नीचे धाराएँ पूर्व से पश्चिम की ओर चलती है।महासागरीय धाराओं पर कोरियोलिस बल भी प्रभावी रहता है जिसके कारण उत्तरी गोलार्द्ध में महासागरीय धाराओं का चक्रण घड़ी की दिशा में होता है तथा दक्षिणी गोलाई में महासागरीय धाराओं का चलण घड़ी की विपरीत दिशा में होता है।

महासागर से संबंधित कारक

तापमान 

महासागरीय जल का तापमान अधिक होने पर जलस्तर उच्च
हो जाता है। तापमान कम होने पर जलस्तर भी कम हो जाता है।

लवणीयता 

लवणीयता अधिक होने पर जल का घनत्व भी बढ़ जाता है जिसके कारण जल स्तर कम हो जाता है।
कम लवणीयता होने पर जल का स्तर उच्च हो जाता है।

घनत्व :

घनत्व अधिक होने पर जलस्तर कम होता है तथा घनत्व कम होने पर जलस्तर बढ़ जाता है।

 वायुमण्डल से संबंधित कारक 

वायुमण्डलीय दाब 

उच्च दाब के कारण जलस्तर कम हो जाता है तथा निम्न दाब के कारण जलस्तर बढ़ जाता है।

पवनें 
पवनें महासागरीय धारा की दिशा का निर्धारण करती है।

वाष्पीकरण 

जहाँ वाष्पीकरण अधिक होता है वहाँ जलस्तर कम पाया जाता हैतथा जहाँ वाष्पीकरण कम होता है वहाँ जलस्तर अधिक पाया जाता है।

वर्षा

वर्षा अधिक होने पर जलस्तर बढ़ जाता है तथा कम वर्षा वाले क्षेत्रों में कम जलस्तर पाया जाता है।

 

महाद्वीप से संबंधित कारक 

महाद्वीपीय नदियाँ 

जिन महासागरीय क्षेत्रों में नदियाँ आकर गिरती हैं वहाँ जल की आपूर्ति बढ़ने के कारण जलस्तर बढ़ जाता है।
नदियों का जल मीग होता है जो जल के घनत्व को कम एवं जलस्तर को उच्च कर देता है।

महाद्वीपीय स्थलाकृति 

तटवर्ती क्षेत्रों से टकराने के बाद महासागरीय धारा दो भागों में बँट जाती हैं एवं तटवर्ती क्षेत्र के समान्तर चलने लगती है।

ऋतुएँ 

मानसून पवनों की दिशा में ऋतुओं के अनुसार परिवर्तन होता है तथा मानसून पवनों के कारण महासागरीय धाराओं की दिशा में भी परिवर्तन होता है।
मानसून पवनों के कारण बनने वाली धाराओं को मानसून प्रवाह ( Monsoon Drift) कहते हैं।

 महासागरीय धाराओं के प्रकार 

1. गर्म महासागरीय धारा :- गर्म धारा का निर्माण विषुवतरेखीय क्षेत्रों तथा उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में होता है।
2. ठंडी महासागरीय धारा :-ठंडी धाराओं का निर्माण धुवीय क्षेत्रों एवं उन क्षेत्रों में होता है जहाँ ठण्डे जल का अपवलन (Upwelling) होता है।

उत्तरी अटलांटिक महासागर 

NEC & SEC (North Equatorial Current & South Equatorial Current):

यह महासागरीय धाराएँ विषुवतरेखा के उत्तर तथा दक्षिण में प्रवाहित होती हैं।
इन धाराओं का निर्माण व्यापारिक पवनों के कारण होता है अतः यह पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है।
यह गर्म धाराएँ जो महाद्वीपों के तट से टकराने के बाद अन्य धाराओं का निर्माण करती हैं।

विश्व प्रमुख ठंडी और गरम महासागरीय धाराएँ नोट्स

CEC ( Counter Equatorial Current)

यह धारा विषुवतरेखीय क्षेत्रों में चलती है।
NEC तथा SEC द्वारा महासागर के पश्चिमी भाग में जल की आपूर्ति बढ़ा दी जाती है जिसके कारण CEC चलना प्रारंभ करती है जो जल को WE ले जाती है।
यह एक गर्म धारा है।

WWD ( West Wind Drift )

यह धारा दक्षिणी गोलार्द्ध में उच्च अक्षांशों में सभी महासागरों में पाई जाती है।
दक्षिणी गोलार्द्ध में पछुआ पवनों की गति तीव्र होने के कारण इस धारा का निर्माण होता है।
यह धारा INE चलती है तथा यह ठण्डी धारा है।-
महाद्वीपों के दक्षिणी तट से टकराकर यह धारा अन्य ठण्डी धाराओं का निर्माण करती है।

GS ( Gulf Stream) 

गल्फ स्ट्रीम का निर्माण NEC के दक्षिण अमेरिका के तट से टकराकर उत्तर में मुड़ने से होता है।
यह एक गर्म धारा है जो उत्तरी तट के पास बहती है। अमेरिका के पूर्वी
यह धारा ध्रुवीय क्षेत्रों से आने वाली ठण्डी Labrador Current (LC) से मिलती है।
यह दोनों धाराएँ New Foundland Island (Canada) के पास मिलती है।
ठण्डी तथा गर्म धारा के मिलने के कारण यहाँ मत्स्यन केन्द्र का निर्माण होता है जिसे Grand Bank कहते. हैं।
उच्च अक्षांशों में पछुआ पवनों के प्रभाव के कारण गल्फ स्ट्रीम W E बहने लगती है जिससे एक नई धारा का निर्माण होता है, जिसे NAD कहते हैं।
GS को यूरोप का गर्म कम्बल कहते हैं

NAD ( North Atlantic Drift)

इस धारा का निर्माण पछुआ पवनों के कारण होता है।
यह धारा यूरोप के पश्चिमी तट से टकराती है तथा दो भागों में बँट जाती है।
इसकी उत्तरी शाखा को NC ( Norweign Current) कहते हैं जो एक गर्म धारा है।
इसकी दक्षिणी शाखा cc ( Canary Current) है जो एक उण्डी धारा है।
NAD गर्म धारा है अतः यह यूरोप के बन्दरगाहों को वर्षभर खुला रखती है।

 CC ( Canary Current) 

इस धारा का निर्माण व्यापारिक पवनों के कारण गर्म जल के विस्थापन एवं ठण्डे जल के अपवलन से होता है अतः यह ठण्डी धारा है।
यह ठण्डी धारा अफ्रीका के उत्तर-पश्चिमी तट के पास शुष्क परिस्थितियों का निर्माण करती है जिसके कारण वहाँ । सहारा मरुस्थल का निर्माण होता है।

दक्षिणी अटलांटिक महासागर की धाराएँ

 BC ( Brazil Current)

इस धारा का निर्माण SEC के दक्षिण अमेरिका के तट से टकराकर दक्षिण में मुड़ने से होता है।
यह एक गर्म धारा है जो ब्राजील के पास गर्म एवं आई परिस्थितियों का निर्माण करती है।

FC (Falkland Current) 

इस धारा का निर्माण WWD के उत्तर में मुड़ने के कारण होता है।
यह धारा दक्षिण अमेरिका के दक्षिण पूर्वी तट के पास बहती है।
यह एक ठण्डी धारा है जो शुष्क परिस्थितियों का निर्माण करती है जिसके कारण Patagonia मरूस्थल का निर्माण होता है।

BgC ( Bengula Current) 

इस धारा का निर्माण WWD के उत्तर में मुड़ने के कारण होता है।
यह धारा अफ्रीका के दक्षिण-पश्चिमी तट के पास बहती है।
यह ठण्डी धारा है जो शुष्क परिस्थितियों का निर्माण करती है जिसके कारण Namib तथा Kalahari मरुस्थल बनते हैं।

सरगासो सागर 

यह उत्तरी अटलांटिक महासागर में स्थित सागर है।
इस सागरीय क्षेत्र में भँवर तंत्र (Gyral System) का निर्माण होता है अत: इस सागर का जल अटलांटिक महासागर के जल में मिश्रित नहीं होता।
इसे ‘बिना तट वाला सागर’ कहते हैं।
इस क्षेत्र में लवणीयता अधिक पाई जाती है।
यहाँ सरगासम (Saragassum Algae) नामक शैवाल बहुत अधिक मात्रा में पाई जाती है जो नौवहन में बाधा उत्पन्न करती है।

 

प्रशांत महासागर की धाराएँ

विश्व प्रमुख ठंडी और गरम महासागरीय धाराएँ नोट्स
KC ( Kuroshio Current)

इस धारा का निर्माण NEC के फिलीपींस के तट से टकराकर उत्तर में मुड़ने से होता है। यह एक गर्म धारा है।
यह धारा जापान के दक्षिणी तट से टकराने के बाद एक उपशाखा का निर्माण करती है जिसे Trushima Current (TC) कहते हैं।
सुशिमा धारा जापान के पश्चिमी तट के पास बहती है तथा स्यूरोशियो जापान के पूर्वी तट के पास बहती है। यह धाराएँ जापान के बन्दरगाहों को वर्षभर खुला रखती हैं।
जापान के पूर्वी तट के पास क्यूरोशियो धारा ध्रुवीय क्षेत्रों से आने वाली ठण्डी Oyashio Current (OC) से मिलती
इन धाराओं के मिलने से मत्स्यन के लिए अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण होता है।
उच्च अक्षांशों में क्यूरोशियो धारा पछुआ पवनों के प्रभाव में W E बहने लगती है जिससे NPD का निर्माण होता है।

NPD ( North Pacific Dript)

इस धारा का निर्माण पछुआ पवनों के कारण होता है यह धारा उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तट से टकराकर दो भागों में विभाजित हो जाती है:-
इसकी उत्तरी शाखा को अलास्का धारा तथा दक्षिणी शाखा को कैलिफोर्निया धारा कहते हैं।
अलास्का तथा NPD धारा गर्म धारा है अत: यह उत्तरी अमेरिका के बन्दरगाहों को वर्ष भर खुला रखती है।

California Current 

इस धारा का निर्माण व्यापारिक पवनों के कारण गर्म जल के विस्थापन तथा ठण्डे जल के अपवलन के कारण होता है।
यह ठण्डी धारा है जो शुष्क परिस्थितियों का निर्माण करती है जिसके कारण Mojave (मोजावे) & Sonoran (सोनोरन) मरुस्थल का निर्माण होता है।

दक्षिणी प्रशान्त महासागर की धाराएँ

 

PC ( Peru Current)

इस धारा का निर्माण WWD के उत्तर में मुड़ने से होता है।
यह एक ठण्डी धारा है जो शुष्क परिस्थितियों का निर्माण करती है जिसके कारण दक्षिण अमेरिका में Atacama मरुस्थल का निर्माण होता है।
इस धारा को Hamboldt Current (हमबोल्ट धारा) भी कहते हैं।

EACC East Australian Current)

यह धारा ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट के पास बहती है तथा इसका निर्माण SEC के दक्षिण में मुड़ने से होता है।
यह एक गर्म धारा है अत: यह ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट के पास वर्षा उत्पन्न करती है।

हिन्द महासागर की धाराएँ

हिन्द महासागर के उत्तरी भाग में NEC तथा अन्य प्रमुख धाराओं का निर्माण नहीं होता क्योंकि उत्तरी हिन्द महासागर अधिक विस्तृत नहीं है।
उत्तरी हिन्द महासागर में मानसून पवनों के कारण कुछ धाराओं का निर्माण होता है जिनकी दिशा में परिवर्तन होता रहता है। इन धाराओं को मानसून प्रवाह कहते हैं।

AgC ( Agulhas Current) 

इस धारा का निर्माण SEC के दक्षिण में मुड़ने से होता है।
यह एक गर्म धारा है।
इस धारा के कारण अफ्रीका के पूर्वी तट के पास वर्षा उत्पन्न होती है।

WAC ( West Australian Current)

इस धारा का निर्माण WWD के उत्तर में मुड़ने से होता है।
यह एक ठण्डी धारा है।
इस धारा के कारण शुष्क परिस्थितियों का निर्माण होता है।
इस धारा के कारण ऑस्ट्रेलिया के पश्चिमी भाग में बहुत से मरुस्थल पाए जाते हैं।
ऑस्ट्रेलिया का 2/3 भाग मरुस्थल है।

 

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