भूकंप कारण

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भूकंप कारण

भूकंप कारण-आपका स्वागत है हमारे ब्लॉग “भूकंप कारण – P, S, L तरंगे, विश्व में वितरण upsc 2024 ” में! यह ब्लॉग आपको  भूकंप के प्रकार , कारण , वितरण और स्थानों के बारे में बताएँगे जो आपको  (युपीएससी) तथा स्टेट पी एस सी में पूछे जायेंगे जब हम  भूकम्प पर  विचार करते हैं, तो यह एक गंभीर और चुनौतीपूर्ण विषय है जिसने समुद्र तटों से लेकर पर्वतीय क्षेत्रों तक विभिन्न क्षेत्रों में अपना प्रभाव बनाये हुवे है । इस ब्लॉग भूकंप कारण – P, S, L तरंगे, विश्व में वितरण upsc 2024  में में हमने साथ  चित्र  भी दिया है जिससे आप इसको आप आसानी से समझ सकते है

भूकंप कारण

पृथ्वी के कम्पन को भूकम्प कहते हैं। पृथ्वी के आन्तरिक भाग से अचानक ऊर्जा मुक्त होने के कारण भूकम्प आते हैं। ऊर्जा मुक्त होने पर भूकम्पीय तरंगों के रूप में चारों ओर फैल जाती है। भूकम्प विज्ञान को सिस्मोलॉजी,(seismology)कहते हैं। भूकम्पीय तरंगों का मापन सिस्मोग्राफ से किया जाता है।

भूकंप कारण

focus (अवकेन्द्र)

यह वह स्थान है जहाँ से ऊर्जा मुक्त होती है जिसके कारण भूकम्पीय तरंगों का निर्माण होता है, इसे भूकम्प का उद्‌गम केन्द्र भी कहते हैं।

अधिकेन्द्र (epicenter)

यह स्थान पृथ्वी की सतह पर अवकेन्द्र के ठीक ऊपर स्थित होता है। इस स्थान पर भूकम्पीय तरंगें सर्वप्रथम पहुँचती हैं तथा भूकम्प के कारण होने वाला सर्वाधिक विनाश इसी क्षेत्र में होता है।

भूकम्पीय तरंगें

भूकंप कारण

भूगर्भिक तरंगें

p waves
s waves

धरातलीय तरंगें
L  waves

body waves

 P waves:

इन्हें प्राथमिक तरंगें भी कहते हैं क्योंकि इन तरंगों का निर्माण सर्वप्रथम होता है।
घनत्व बढ़ने के साथ इन तरंगों की गति भी बढ़ती है।
इन तरंगों की औसत गति लगभग 6-13 km./sec. होती है।
यह अनुदैर्ध्य तरंगें (longitudinal waves) होती हैं जिनमें कणों का कम्पन तरंग की दिशा में होता है।
यह तरंग सभी माध्यमों में चल सकती है।

S waves 

यह द्वितीयक तरंगें हैं।
इनकी औसत गति 4-7 km. /sec. होती है।
घनत्व बढ़ने के साथ इन तरंगों की गति बढ़ती है।
यह अनुप्रस्थ तरंगें हैं जिनमें कणों का कम्पन तरंग •की दिशा के लम्बवत् होता है।
यह तरंगें केवल ठोस माध्यम में चलती है।

surface  wave

L waves

इन्हें love तरंगे कहते हैं।
इन तरंगों की गति सबसे कम होती है।
इनकी औसत गति 3 km./rec. होती है।
यह अनुप्रस्थ तरंगे हैं।
पृथ्वी पर भूकम्प के कारण होने वाला सर्वाधिक विनाश इन्हीं तरंगों के कारण होता है

 

shadow zone (छाया क्षेत्र ) 

वह स्थान जहाँ भूकम्पीय तरंगें रिकॉर्ड नहीं होती. उसे भूकम्पीय तरंगों का छाया क्षेत्र कहते हैं।
छाया क्षेत्र का निर्माण बाहरी कोर (core) के द्रव अवस्था में होने के कारण होता है।
छाया क्षेत्र पृथ्वी के आन्तरिक भाग के अध्ययन में सहायक होता है।

p तरंगों का छाया क्षेत्र 

p तरंगों का छाया क्षेत्र अधिकेन्द्र के दोनों ओर 103° से 142° की कोणीय दूरी के बीच पाया जाता है। बाहरी कोर में प्रवेश करने पर p- तरंगें अपवर्तित हो जाती है जिसके कारण यह छाया क्षेत्र बनता है।

S तरंगों का छाया क्षेत्र

तरंगों का छाया क्षेत्र अधिकेन्द्र के दोनों ओर 103° से  103° बीच पाया
तरंगों के छाया क्षेत्र का निर्माण इसलिए होता है क्योंकि S- तरंगें, ठोस माध्यम में गति करती है। केवल
तरंगों का छाया क्षेत्र p- तरंगों के छाया क्षेत्र से अधिक होता है।

भूकम्पीय तरंगों का मापन

richter scale

इस स्केल में भूकम्प के दौरान मुक्त होने वाली ऊर्जा को मापा जाता है।
यह भूकम्प के परिमाण को दर्शाती है। रिक्टर स्केल मात्रात्मक स्केल है।
इस स्केल में 0-9 तक इकाईयाँ होती हैं।
यह एक लघुगुणक स्केल है जिसमें एक इकाई बढ़ने पर भूकम्प की तीव्रता 10 गुना बढ़ जाती है।
उच्च तीव्रता के भूकम्प के मापन के लिए आजकल moment magnitude scale का उपयोग किया जाता है।

mercalli scale

इस स्केल के द्वारा भूकम्प के कारण होने वाली प्रत्यक्ष हानि को मापा जाता है।
यह एक गुणात्मक स्केल है।
मरकैली स्केल में 1-12 तक की इकाईयाँ होती हैं। आजकल किया modified mercalli scale का भी उपयोग जाता है।

 

हमने इस आर्टिकल में हमने  के बारे में जानकारी प्राप्त की  ये सभी जानकरी राजस्थान सिविल सेवा और अन्य एग्जाम में इसने क्वेश्चन पूछे जाते है आप इनके साथ ही भारतीय भूगोल के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकते है इसके अलावा, हमने और भी  ब्लॉग पोस्ट तैयार की है जिसमें हम बात करेंगे कि

अक्षांश और देशांतर रेखा क्या है ?

इसी के साथ, हम इस ब्लॉग पोस्ट में हमने ज्वालामुखी विश्वभर में वितरण जो युपीएससी एगजम के महत्वपूर्ण है को और रोचक बनाने के लिए एक और ब्लॉग लेख का लिंक भी साझा करेंगे, यहाँ पर दी गई जानकारी हमने विकीपीडिया तथा मान्यता प्राप्त कोचिंग के नोटस से  जानकारी से प्राप्त की है

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