छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोक नृत्य

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छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोक नृत्य

छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोक नृत्य-सरकारी नौकरियों की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों को अक्सर कल वह संस्कृति से प्रश्न पूछे जाते हैं जहां लोकगीत लोक नृत्य बोली जनजाति वेशभूषा आदि से प्रश्न आना आजकल साधारण हो चुका है उसी कड़ी में आज हम विस्तार से पढ़ने वाले हैं छत्तीसगढ़ के लोक नृत्य एसएससी यूपीएससी पीसीएस के विद्यार्थी यहां से पढ़ना शुरू करें

छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोक नृत्य

सुआ नृत्य 

यह नृत्य छत्तीसगढ़ में किया जाता है यह नृत्य दीपावली के कुछ दिन पहले धान की फसल पक जाने के बाद शुरू किया जाता है यह दीपावली पर खत्म होता है यह महिलाओं द्वारा द्वारा सुआ ( तोता) मिट्टी से शिव पार्वती के प्रतीक बनाकर पूजा की जाती हैं और गोल गिरा बनाकर नृत्य किया जाता है इस नृत्य को गौरी नृत्य भी कहा जाता है

पंथी नृत्य  

यह नृत्य छत्तीसगढ़ में किया जाता है यह सतनामी संप्रदाय के लोगों का पारंपरिक नृत्य है सतनामी संप्रदाय के लोग जेतखाम की स्थापना करते हैं पंथी नाच में गुरु घासीदास की पुजा करते हैं तथा उनकी वंदना से नृत्य आरंभ होता है

चंदेनी नृत्य 

यह नृत्य छत्तीसगढ़ में किया जाता है इसे दो शैलियां में किया जाता है लोक कथा लोकगीत इसमें पुरुष चंदेनी कथा प्रस्तुत करते हैं यह नृत्य रात भर चलता है

राउत नाचा 

यह छत्तीसगढ़ का लोक नृत्य है इसे गहिरा नाच भी कहते हैं यह भगवान श्री कृष्ण को अपना पूर्वज मानते हैं यह युद्ध नृत्य है इसमें श्री कृष्ण को कंस को मारने व उनकी विजय का सुंदर चित्रण है यह एक पखवाड़े तक कार्तिक एकादशी से प्रारंभ होता है इसमें गड़वा बाजा की धुन पर सभी लोग नाचते हैं

करमा नाच  

यह छत्तीसगढ़ का लोक नृत्य है यह कर्म देवता को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है यह विजयदशमी से आरंभ होता है इसमें पुरुष व स्त्री पगड़ी जो मयूर पंख से सजा होता है बैगा आदिवासी इसे बेगानी करमा कहते हैं

ककसार (मुड़िया नृत्य) 

यह छत्तीसगढ़ में किया जाता है इसमें मुड़िया जनजाति के लोग लिंगा देव को प्रसन्न करने के लिए नृत्य करते हैं पुरुष कमर पर घंटी बांधते हैं तथा स्त्रियों फूलों की माला पहनती है

सरहुल 

यह छत्तीसगढ़ का लोक नृत्य है यह उरांव जनजाति का नृत्य है यह नृत्य चैत्र मास में अराध्य सारना देवी की पूजा करते हैं इसमें प्रमुख मांदर व झांझ बजाई जाती हैं पुरुष विशेष प्रकार का पीली पगड़ी बांधते हैं तथा महिलाएं बगुले के पंखे कलगी लगाती है

सैला अथवा डंडा नृत्य 

यह छत्तीसगढ़ का लोक नृत्य है यह सरगुजा जनजाति का लोक नृत्य है यह नृत्य दशहरे एवं धान की कटाई से शुरू होता है इसमें पुरुष डंडा लेकर समूह बनाकर नृत्य करते हैं

मांदरी नृत्य

यह छत्तीसगढ़ का लोक नृत्य है यह करताल पर नृत्य किया जाता है इसमें पुरुष नाटक समूह बनाकर नृत्य करते हैं तथा एक पुरुष समूह को नेतृत्व करता है

केरल का नृत्य कौन सा है ?

ये सभी जानकारी हमने wikipidia और सरकारी वेबसाइट से प्राप्त की है

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