वृहद हिमालय क्या है,मध्य हिमालय,शिवालिक नोट्स 2024

वृहद हिमालय क्या है,मध्य हिमालय क्या है,शिवालिक क्या है,करेवा क्या है,पूर्वांचल क्या है

वृहद हिमालय क्या है, मध्य हिमालय, शिवालिक और घाटियाँ

नमस्ते SSC और UPSC छात्रों!

क्या आप हिमालय की भव्यता और उसकी विभिन्न भौगोलिक विशेषताओं के बारे में जानने के लिए उत्सुक हैं?

आज हम वृहत हिमालय, मध्य हिमालय, शिवालिक और घाटियों जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करेंगे, जो आपके परीक्षाओं में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

 

मुख्य हिमालय

 

वृहत हिमालय,मध्य हिमालय,शिवालिक और घाटियाँ

यह भाग सिन्धु नदी घाटी से ब्रह्मपुत्र नदी घाटी तक स्थित है।
इस भाग के दोनों ओर अक्षसंघीय मोड़ ( Syntaxial Bend) पाया जाता है।

इस भाग की चौड़ाई पश्चिमी भाग में अधिक तथा पूर्वी भाग में कम है।
यह लगभग 2400 km. की दूरी में विस्तृत है। इस भाग में तीन प्रमुख श्रेणियाँ है

  • वृहद हिमालय 
  • मध्य हिमालय
  • शिवालिक

 

वृहत हिमालय

 

 

वृहद हिमालय क्या है
यह श्रेणी नंगा पर्वत से नामचा बरखा के बीच स्थित है। यह 2400 km. की दूरी में विस्तृत है तथा इसकी औसत चौड़ाई 25 km. एवं औसत ऊँचाई 6100 m. है।
ऊँचाई अधिक होने के कारण यह पर्वत वर्ष भर बर्फ से ढका रहता है अतः इसे हिमाद्री भी कहा जाता है। यह. विश्व की सबसे ऊँची पर्वत श्रेणी है।
इस श्रेणी में विश्व की सबसे ऊँची चोटी माउण्ट एवरेस्ट ( 8848 m.) स्थित है।

माउण्ट एवरेस्ट नेपाल-चीन सीमा पर स्थित है। इसे नेपाल में सागरमाथा कहते है। माउण्ट एवरेस्ट होते है
इस पर्वत पर बहुत से प्रमुख हिमनद स्थित है। गंगोत्री, यमुनोत्री, सतोपंथ, पिंडारी, मिलान etc.
इस श्रेणी में बहुत से दर्रे है जिन्हें स्थानीय भाषा में ‘ला’ कहा जाता है

वृहद हिमालय के दर्रे 

मध्य हिमालय क्या है

वृहत हिमालय,मध्य हिमालय,शिवालिक और घाटियाँ
इसे हिमाचल हिमालय या लघु हिमालय यह श्रेणी 2400 km. की दूरी में इसकी औसत चौड़ाई 50 km है। भी कहते हैं। विस्तृत है। इस श्रेणी की ऊँचाई लगभग 3700-4500m. के बीच पाई जाती है।
इस श्रेणी के विभिन्न स्थानीय नाम है :-

J & K- Pir Panjal

Himachal Pradesh-Dhauladhar

Uttarakhand-Mussoorie Nag Tibba

Nepal-Mahabharat

Sikkim-Dokya

Bhutan – Black Mountain

मध्य हिमालय तथा बृहत् हिमालय के बीच बहुत सी घाटियाँ स्थित है 

 

वृहत हिमालय,मध्य हिमालय,शिवालिक और घाटियाँ

 

कश्मीर घाटी = बृहत् हिमालय – पीर पंजाल

कुल्लू घाटी बृहत् =हिमालय – धौलाधर

कांगड़ा घाटी (HP)= बृहत् हिमालय – मसूरी

काठमांडू घाटी = बृहत् हिमालय – महाभारत

इस श्रेणी पर ग्रीष्म ऋतु में शीतोष्ण कटिबन्धीय घास के मैदान पाए जाते हैं, जिन्हें जम्मू – कश्मीर में तथा उत्तराखण्ड में मर्ग बुग्याल, पयाला कहा जाता है।
शीत ऋतु के दौरान यह श्रेणी बर्फ से ढ़क जाती है।

इस श्रेणी पर स्थित घास के मैदानों का उपयोग स्थानीय समुदाय अपने पशुओं को चराने के लिए करते हैं।
इस श्रेणी क्षेत्र में बहुत से पर्यटन स्थल पाए जाते हैं कुल्लू, मनाली, नैनीताल, मसूरी

इस श्रेणी में कुछ प्रमुख दरें पाए जाते हैं।

पीरपंजाल दर्रा 

यह दर्रा श्रीनगर को POK से जोड़ता है।

बनिहाल दर्रा :

यह दर्रा श्रीनगर को जम्मू से जोड़ता है। इस दर्रे से NH1A गुजरता है। इस दर्रे में जवाहर सुरंग स्थित है।

ऋतु प्रवास । Transhumance)

ऋतुओं में होने वाले परिवर्तन के साथ जव स्थानीय त्समुदाय अपने पशुओं के साथ चारे (fodder) तथा जल की तलाश / खोज में एक स्थान से दूसरे स्थान तक पलायन करते हैं. उसे ऋतु प्रवास कहा जाता है जम्मू-कश्मीर में गुर्जर तथा बकरवाल समुदाय ऋतु प्रवास करते हैं। ग्रीष्म ऋतु के दौरान ये पर्वतों की ओर तथा शीत ऋतु में घाटी क्षेत्र की ओर पलायन करते हैं।

करेवा क्या है ( Karewa) 

पीरपंजाल श्रेणी के निर्माण के कारण कश्मीर घाटी क्षेत्र में अस्थायी झीलों का निर्माण हुआ जो नदियों द्वारा लाए गए अवसादों से भर गईं तथा इन्हीं अवसादों को करेवा कहते हैं।

करेवा कश्मीर घाटी क्षेत्र में पाए जाने वाले उपजाऊ हिमनद, नदी एवं झील के अवसाद (Glacial, Riverine & Lacustrine) हैं। इन अवसादों का उपयोग केसर व ‘चावल की खेती के लिए किया जाता है।

शिवालिक क्या है

शिवालिक श्रेणी की ऊँचाई 500-1500m. के बीच पाई जाती
है। इसकी चौड़ाई 10-50 km है।
शिवालिक को विभिन्न स्थानीय नामों से जाना जाता है:

J & K= Jammu Hills…
Uttarakhand =Dudwa / Dhang
Nepal= Churiaghat
A.P.=Dafla
(मिरी)
( अबोर)
( मिस्मी)

शिवालिक श्रेणी के निर्माण के दौरान मध्य हिमालय तथा शिवालिक श्रेणी के बीच अस्थाई झीलों का निर्माण हुआ था।
यह झीलें कालान्तर में अवसादों से भर गई जिससे समतल घाटियों का निर्माण हुआ
इन घाटियों को पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में ‘दून’ तथा पूर्वी. हिमालय क्षेत्र में ‘द्वार’ कहते हैं।

देहरादून, कोटलीदून, पाटलीदून, हरिद्वार, निहांगद्वार etc..
इन घाटियों का उपयोग चावल की खेती के लिए किया जाता है।

चोस (Chos)

हिमाचल प्रदेश तथा पंजाब में स्थित शिवालिक श्रेणी क्षेत्र में मानसून के दौरान अस्थायी धाराओं का निर्माण होता है जिन्हें, चोस कहते हैं।
स्थानीय भाषा में यह धाराएँ शिवालिक को विभिन्न भागों में विभाजित कर देती हैं।

पूर्वांचल क्या है

 

वृहद हिमालय क्या है

उत्तर – पूर्वी राज्यों में उत्तर से दक्षिण की ओर विस्तृत पहाड़ियों को पूर्वांचल कहते हैं।
पूर्वाचल का निर्माण इण्डो-ऑस्ट्रेलियन तथा बर्मा प्लेट के अभिसरण से हुआ है। यह बालू पत्थर से निर्मित पहाड़ियाँ है।
दक्षिण-पश्चिम मानसून पवनों द्वारा यहाँ भारी वर्षा प्राप्त होती है अतः यहाँ बहुत अधिक जैव-विविधता पाई जाती है।

यह विश्व के 36 Hatspots में सम्मिलित हैं। नागा पहाड़ियों की सबसे ऊँची चोटी सरामती है। मिजो पहाड़ियों को लुझाई पहाड़ियाँ भी कहते हैं। मिजो पहाड़ियों की सबसे ऊँची चोटी ब्लू माउण्टेन हैं। बराइल श्रेणी नागा पहाड़ियों एवं मणिपुर पहाड़ियों को अलग करती है।

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