ज्वार-भाटा बनने के कारण – नमस्कार दोस्तों! क्या आपने कभी सोचा है कि विशाल सागर की लहरें इतनी नियमित रूप से ऊपर-नीचे क्यों होती हैं? यह कोई जादू नहीं, बल्कि प्रकृति का एक अद्भुत खेल है – ज्वार-भाटा का खेल आप में से कई UPSC, SSC और PSC की रेस में दौड़ लगा रहे होंगे, और ऐसे में भूगोल (Geography) आपके रास्ते का एक अहम पड़ाव है. ज्वार-भाटा का ज्ञान न सिर्फ आपके ज्ञान को बढ़ाएगा, बल्कि कई प्रश्नों का सटीक जवाब देने में भी आपकी मदद करेगा इस ब्लॉग में हम ज्वार-भाटा के बनने के कारणों का गहराई से अध्ययन करेंगे आसान भाषा, रोचक उदाहरण और सटीक जानकारी के साथ, हम आपको समझाएंगे कि कैसे सूर्य और चंद्रमा मिलकर समुद्र की लय तय करते हैं तो तैयार हैं भविष्य के अधिकारी बनने के लिए? चलिए, आज ही उठाते हैं ज्वार-भाटा के रहस्य का पर्दा तो देर किस बात की? अभी जुड़िए इस रोमांचक यात्रा में और समुद्र के दिल की धड़कन सुनें
ज्वार-भाटा बनने के कारण
चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण महासागरीय जल तरंगों के रूप में ऊपर उठता है, जिसे ज्वार कहते हैं। ज्वार पर सूर्य के गुरुत्वाकर्षण बल का भी प्रभाव रहता पृथ्वी पर एक साथ दो स्थानों पर ज्वार बनते हैं।एक तरफ ज्वार का निर्माण चन्द्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण होता है तथा दूसरी तरफ अपकेन्द्रीय बल के कारण ज्वार का निर्माण होता है। जिन दो स्थानों पर ज्वार बनते हैं वह 180 की कोणीय दूरी पर स्थित होते हैं। ज्वार से १० की कोणीय दूरी पर भाटे का निर्माण होता है। भाटे के दौरान महासागरीय जल का स्तर कम हो जाता है।किसी भी स्थान पर बनने वाले दो ज्वारों के बीच 12 घंटे 26 मिनट का समय अन्तराल होता है। किसी स्थान पर बनने वाले एक ज्वार तथा भाटे के बीच 6 घंटे 13 मिनट का समय अन्तराल होता है।

ज्वार के प्रकार कितने प्रकार का होता है
दीर्घ ज्वार ( Spring Tide)
इस ज्वार का निर्माण तब होता है जून जब सूर्य, सूर्य, चन्द्रमा चन्द्रमा तथा पृथ्वी तीनों सीध में स्थित होते हैं, इस स्थिति को सिज़गी कहते हैं। इस स्थिति के दौरान सामान्य से 20% ऊँचे ज्वार उठते हैं। इस दौरान सूर्य तथा चन्द्रमा दोनों का ही गुरुत्वाकर्षण बल ज्वार पर प्रभावी होती है। यह स्थिति हर महीने की पूर्णिमा तथा अमावस्या को बनती है
लघु ज्वार
लघु ज्वार का निर्माण उस स्थिति में होता है जब सूर्य, चन्द्रमा तथा पृथ्वी समकोण पर स्थित होते.इस दौरान चन्द्रमा तथा सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल अलग दिशा में लगता है जिसके कारण सामान्य से 20% नीचे ज्वार बनते हैं।लघु ज्वार का निर्माण हर पखवाड़े के सातवें या आठवें दिन होता है। =विश्व में सबसे ऊँचा ज्वार Bay Of Fundy (Canada) में बनता है।विश्व में सबसे नीचे ज्वार Okha Coast (Gujrat) में बनते हैं।Southampton में एक दिन में 4 ज्वार बनते हैं।

ज्वार-भाटा बनने के कारण – नमस्कार दोस्तों! क्या आपने कभी सोचा है कि विशाल सागर की लहरें इतनी नियमित रूप से ऊपर-नीचे क्यों होती हैं? यह कोई जादू नहीं, बल्कि प्रकृति का एक अद्भुत खेल है – ज्वार-भाटा का खेल आप में से कई UPSC, SSC और PSC की रेस में दौड़ लगा रहे होंगे, और ऐसे में भूगोल (Geography) आपके रास्ते का एक अहम पड़ाव है. ज्वार-भाटा का ज्ञान न सिर्फ आपके ज्ञान को बढ़ाएगा, बल्कि कई प्रश्नों का सटीक जवाब देने में भी आपकी मदद करेगा इस ब्लॉग में हम ज्वार-भाटा के बनने के कारणों का गहराई से अध्ययन करेंगे आसान भाषा, रोचक उदाहरण और सटीक जानकारी के साथ, हम आपको समझाएंगे कि कैसे सूर्य और चंद्रमा मिलकर समुद्र की लय तय करते हैं तो तैयार हैं भविष्य के अधिकारी बनने के लिए? चलिए, आज ही उठाते हैं ज्वार-भाटा के रहस्य का पर्दा तो देर किस बात की? अभी जुड़िए इस रोमांचक यात्रा में और समुद्र के दिल की धड़कन सुनें
ज्वार-भाटा बनने के कारण
चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण महासागरीय जल तरंगों के रूप में ऊपर उठता है, जिसे ज्वार कहते हैं। ज्वार पर सूर्य के गुरुत्वाकर्षण बल का भी प्रभाव रहता पृथ्वी पर एक साथ दो स्थानों पर ज्वार बनते हैं।एक तरफ ज्वार का निर्माण चन्द्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण होता है तथा दूसरी तरफ अपकेन्द्रीय बल के कारण ज्वार का निर्माण होता है। जिन दो स्थानों पर ज्वार बनते हैं वह 180 की कोणीय दूरी पर स्थित होते हैं। ज्वार से १० की कोणीय दूरी पर भाटे का निर्माण होता है। भाटे के दौरान महासागरीय जल का स्तर कम हो जाता है।किसी भी स्थान पर बनने वाले दो ज्वारों के बीच 12 घंटे 26 मिनट का समय अन्तराल होता है। किसी स्थान पर बनने वाले एक ज्वार तथा भाटे के बीच 6 घंटे 13 मिनट का समय अन्तराल होता है।

ज्वार के प्रकार कितने प्रकार का होता है
दीर्घ ज्वार ( Spring Tide)
इस ज्वार का निर्माण तब होता है जून जब सूर्य, सूर्य, चन्द्रमा चन्द्रमा तथा पृथ्वी तीनों सीध में स्थित होते हैं, इस स्थिति को सिज़गी कहते हैं। इस स्थिति के दौरान सामान्य से 20% ऊँचे ज्वार उठते हैं। इस दौरान सूर्य तथा चन्द्रमा दोनों का ही गुरुत्वाकर्षण बल ज्वार पर प्रभावी होती है। यह स्थिति हर महीने की पूर्णिमा तथा अमावस्या को बनती है
लघु ज्वार
लघु ज्वार का निर्माण उस स्थिति में होता है जब सूर्य, चन्द्रमा तथा पृथ्वी समकोण पर स्थित होते.इस दौरान चन्द्रमा तथा सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल अलग दिशा में लगता है जिसके कारण सामान्य से 20% नीचे ज्वार बनते हैं।लघु ज्वार का निर्माण हर पखवाड़े के सातवें या आठवें दिन होता है। =विश्व में सबसे ऊँचा ज्वार Bay Of Fundy (Canada) में बनता है।विश्व में सबसे नीचे ज्वार Okha Coast (Gujrat) में बनते हैं।Southampton में एक दिन में 4 ज्वार बनते हैं।

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ज्वार-भाटा बनने के कारण से संबध क्वेश्चन
Question – विश्व का सबसे बड़ा ज्वार भाटा कहाँ आता है?
Answer – विश्व की सबसे बड़ा ज्वार भाटा कनाड़ा के फंडी के खाड़ी में पाया जाता हैं
Question – ज्वार भाटा क्या होता है?
Answer – नवीकरणीय ऊर्जा का एक रूप है जो विभिन्न तरीकों का उपयोग करके ज्वार से ऊर्जा को बिजली में परिवर्तित करके बनाई जाती है।
Questions – ज्वार भाटा कितने प्रकार के होते हैं?
Answer – ज्वार भाटा दो प्रकार के होते हैं। 1. लघु ज्वार 2. दीर्घ ज्वार