कैसे बनते हैं पहाड़ ?
पृथ्वी, हमारी घर , एक अद्वितीय ग्रह है जिसने हमारे जीवन के अनगिनत रहस्यों को बनाया है । इस अद्भुत ग्रह की सुंदरता और उसकी समृद्धि के पीछे छुपे हुवे बहुत से रहस्य है उनमे से महत्वपूर्ण रहस्य है – कैसे बनते हैं पहाड़ ? और टेक्टोनिक प्लेट सिद्धांत । यह सिद्धांत हमें समझाता है कि पृथ्वी की भूतल पर आकृतिक रूप से बदलाव हो रहा है, जिससे आपसी संबंध, ज्वार, और जैव-विविधता पर बहुत मात्रा प्रभाव पड़ता है।
इस अध्याय में, हम टेक्टोनिक प्लेट सिद्धांत की जानकारी प्राप्त करेंगे और समझेंगे कि कैसे यह सिद्धांत हमारी पृथ्वी की दृष्टि से बदलती हुई सुंदर वस्तु और जीवन की सृष्टि में केसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
Continental Drift Theory :-
महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त अल्फ्रेड वेगनर (जर्मनी के मौसम वैज्ञानिक) द्वारा दिया गया है। 1912 में उसने अपने अध्ययन द्वारा यह प्रमाणित किया कि सभी महादीप पहले एक ही विशाल भूभाग का हिस्सा थे जिसे पेंजिया कहते हैं।पेंजिया के चारों ओर एक विशाल जलराशि धी जिसे पेंथालासा कहते हैं। बाद में पेंजिया दो भागों में विभाजित हो गया। उत्तरी भाग को अंगारा लैण्ड तथा दक्षिणी भाग को गोंडवाना लैण्ड कहा गया।इन दोनों भागों के बीच टेथिस सागर स्थित था। भारत गोंडवाना लैण्ड का हिस्सा है। वेगनर महाद्वीपों के विस्थापन के पीछे कोई तर्कसंगत कारण नहीं बता पाया इसलिए एक नया सिद्धान्त दिया गया – Plate Tectonic Theory (प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त)
प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त
यह सिद्धान्त 1967 में मैकेन्जी (Mackenzie), पार्कर (Parkar) व मोर्गन (Morgan) द्वारा दिया गया है। यह सिद्धान्त प्लेटों के निर्माण, विकास तथा उनमें होने वाली गति के कारण उत्पन्न होने वाली भू-आकृतिक परिघटनाओं को वैज्ञानिक रूप से समझाता है।
महाद्वीपीय विस्थापन, भूकम्प, ज्वालामुखी तथा वलित पर्वत निर्माण आदि
स्थलमण्डल (Lithosphere) विभिन्न भागों में बँटा है तथा इसके भागों को प्लेट कहते हैं।पृथ्वी पर 7 प्रमुख प्लेटें तथा 20 लघु प्लेटें हैं।
7 प्रमुख प्लेटें :-
North American Plate.
South American Plate
Eurasian Plate..
African Plate
Indoaustralian Plate
Antarctic Plate
Pacific Plate.
Jaun de Fuca Plate (जान डी फ्यूका)
Cocos (कोकॉस)
Nazca (नाज़का)
Arabian Plate (अरब)
Somali Plate (सोमाली).
Burma Plate (बर्मा)
Philippines Plate ( फिलिपींस )
प्लेटों की गति ;-
दुर्बल मण्ठल में रेडियोधर्मी पदार्थों का विघटन होता है जिससे यहाँ ऊष्मीय ऊर्जा मुक्त होती है।
ऊष्मीय ऊर्जा के कारण यहाँ स्थित चट्टानें पिघलकर मेग्मा का निर्माण करती हैं।
मेग्मा के गर्म होने के कारण ऊष्मीय संवहन धाराओं का निर्माण होता है। (Thermal convective curren
यह धाराएँ प्लेटों पर बल लगाती हैं। जिससे प्लेटों की गति होती है।प्लेटों की गति के दौरान प्लेटें टकराती हैं, दूर जाती है या समानान्तर चलती है जिससे कई भू-आकृतिक परिघटनाएँ घटती हैं।
यह परिघटनाएँ प्लेटों के किनारों पर होती हैं अतः इस सिद्धान्त के अन्तर्गत प्लेट किनारों का अध्ययन किया जाता है।प्लेटों की गति के अनुसार प्लेटें तीन प्रकार की होती है :-
1. अभिसारित प्लेट किनारे (Converging Plate Boundaries)
2. अपसारित प्लेट किनारे ( (Diverging Plate Boundaries)
3. संरक्षित (Diverging Plate Boundaries )
अभिसारित प्लेट किनारे
इन प्लेट किनारों पर प्लेटें एक-दूसरे की ओर गति करती है।
भारी प्लेट हल्की प्लेट के नीचे धँस जाती हैं।
जिस क्षेत्र में प्लेट धँसती हैं उसे वेनिऑफ जोन कहा जाता है। 20
धँसने वाली प्लेट गर्म होकर नष्ट हो जाती है तथा पिघलती हैं अतः इन्हें विनाशकारी प्लेट किनारे कहते हैं।
इन प्लेट किनारों पर उच्च तीव्रता के भूकम्प, विस्फोटक ज्वालामुखी उद्गार एवं वलित पर्वत निर्माण होता है।
Continental Plate Granite (Light)
Oceanic Plate Basalt (Heavy)प्लेटों की प्रकृति के आधार पर अभिसारित प्लेट किनारे 3 प्रकार के होते हैं:-
-
महाद्वीपीय – महाद्वीपीय
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महाद्वीपीय – महासागरीय
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महासागरीय – महासागरीय
(1) महाद्वीपीय – महाद्वीपीय
इन प्लेट किनारों पर दो महाद्वीपीय प्लेटों का अभिसरण होता है।
इन प्लेट किनारों पर उच्च तीव्रता के भूकंप आते हैं तथा वलित पर्वत का निर्माण होता है।
विस्फोटक ज्वालामुखी उद्गार जब ही होता है जब दोनो प्लेटों के बीच जल स्थित होता है।
इण्डो- ऑस्ट्रेलियन तथा यूरेशियन प्लेट के अभिसरण से हिमालय पर्वत का निर्माण होता है।
यूरेशियन तथा अफ्रीकन प्लेट के अभिसरण से माल्प्स (Ap) पर्वत का निर्माण होता है तथा इस प्लेट किनारे पर ज्वालामुखी उद्गार भी होता है। कुछ ज्वालामुखी चोटियाँ निम्नलिखित है :-
1. विसूबियस
2. स्ट्रोम्बोली
3. एटना
महाद्वीपीय – महासागरीय
इन प्लेट किनारों पर महाद्वीपीय तथा महासागरीय प्लेटो का अभिसरण होता है जिसके कारण उच्च तीव्रता के भूकम्प तथा विस्फोटक ज्वालामुखी उद्गार होते हैं।
इन किनारों पर वलित पर्वत एवं महासागरीय गर्त का भी निर्माण होता है।
प्रशान्त उत्तरी अमेरिकी प्लेट
Rocky Mt ,Volcanic Peak
(a) Hood
(b) Rainier (रेनियर)
(C) Shasta (शास्ता)
नाज़का – दक्षिणी अमेरिकी प्लेट
Andes Mt.
Volcanic Peaks
(a) Cotopaxi ( कोटोपैक्सी)
(b) Chimbrago ( चिम्बराजो)
(C) Aconcagua ( अकोंकागुआ) एंडीज की सबसे ऊँची चोटी
महासागरीय – महासागरीय
इन प्लेट किनारों पर दो महासागरीय प्लेटों का अभिसरण होता है अतः इन प्लेट किनारों पर उच्च तीव्रता के भूकम्प आते हैं तथा विस्फोटक ज्वालामुखी उद्गार होता है।
इस ज्वालामुखी उद्गार से निकलने वाले लावे के ठण्डे होने से द्वीपीय चाप (Islands arc) का निर्माण होता है।
इन प्लेट किनारों पर गहरी महासागरीय गर्तों का निर्माण होता है।
फिलीपींस – प्रशान्त महासागरीय प्लेट
मेरियाना गर्त ( Mariana Trench)
अपसारित प्लेट किनारे :-
इन प्लेट किनारों पर 2 प्लेटें एक-दूसरे के विपरीत दिशा में गति करती है जिससे दोनों प्लेटों के बीच एक भ्रंश (Rift) का निर्माण होता है।
इन प्लेट किनारों पर मध्यम से निम्न तीव्रता के भूकम्प तथा ज्वालामुखी उद्गार होते हैं।
ज्वालामुखी उद्गार के दौरान निकलने वाला लावा ठण्डा होकर नई लस्ट (rust) का निर्माण करता है अतः इनके किनारों को रचनात्मक प्लेट किनारे कहते हैं।
महासागरीय क्षेत्रों में इन प्लेट किनारों पर महासागरीय कटक
(Ridge) का निर्माण होता है।
मध्य अटलांटिक कटक यह विश्व की सबसे लम्बी पर्वत श्रेणी है [ 14000 Km.
संरक्षित प्लेट किनारे :-
इन प्लेट किनारों पर प्लेटें एक-दूसरे के समानान्तर चलती हैं। इन प्लेट किनारों पर निम्न तीव्रता के भूकम्प आते हैं तथा
रुपान्तर भ्रंश (Transform Fault) का निर्माण होता है। इन प्लेट किनारों पर ज्वालामुखी उद्गार नहीं होते।
जॉन डी फ्यूका – उत्तरी अमेरिकी प्लेट
सान एंड्रीयास भ्रंश ( केलीफोर्निया )
उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
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