पश्चिमी और पूर्वी तटवर्ती मैदान नोट्स-आज हम पश्चिमी तटवर्ती मैदान और पूर्वी तटवर्ती मैदान के बारे में जानेंगे, जो SSC, UPSC और PSC परीक्षाओं में अक्सर पूछे जाने वाले विषयों में से एक हैं।
पश्चिमी और पूर्वी तटवर्ती मैदान नोट्स
तटवर्ती मैदान यह मैदान कच्छ प्रायद्वीप से लेकर स्वर्णरेखा नदी तक 6000 km की दूरी में विस्तृत है। इस मैदान का निर्माण नदियों द्वारा जमा किए गए अवसादों से होता है।इस गैदानी प्रदेश को दो प्रमुख भागों में विभाजित किया जा सकता है:-
Western Coastal Plains.
Eastern Coastal Plains
पश्चिमी तटवर्ती मैदान यह मैदान कच्छ से कन्याकुमारी तक विस्तृत है। यह संकरे मैदान है क्योंकि इस क्षेत्र की नदियाँ नदमुख ( Estuary) का निर्माण करती है।
नदमुख निर्माण के प्रमुख कारण
(ⅰ) नदी का छोटा मार्ग (Short Coarse)
(i) उच्च गति
(ii) कठोर चट्टानों वाला तल
(iv) ज्वारीय गतिविधियाँ
यह मैदान लगभग 50-100 km. चौड़े हैं। इनकी औसत चौड़ाई 64 Km है। इस मैदानी भाग के विभिन्न प्रादेशिक विभाजन पाए जाते हैं
1. कच्छ
2. काठियावाड़
3. गुजरात
4. कोंकण
5. कन्नड़
6. मालाबार
कच्छ के मैदान
इस मैदान का निर्माण सिन्धु नदी द्वारा जमा किए गए अवसादों से होता है। यह चौड़े एवं समतल मैदान है। ज्वारीय गतिविधियों के कारण यहाँ की मृदा में बहुत अधिक लवणीयता पाई जाती है अतः यह मैदान कृषि के लिए उपयोगी नहीं है।
काठियावाड के मैदान
इन मैदानों का निर्माण माण्डव पहाड़ियों से निकलने वाली नदियों द्वारा होता है। यह संकरे मैदान है
गुजरात के मैदान
यह गुजरात के दक्षिणी भाग में स्थित मैदान है। इस मैदान का निर्माण माही, साबरमती, नर्मदा व तापी जैसी नदियों द्वारा होता है। यह चौड़े एवं समतल मैदान है जिनका उपयोग कृषि के लिए किया जाता है।
कोंकण मैदान
यह मैदान मुख्य रूप से महाराष्ट्र तथा गोवा में स्थित है। यह संकरे, पथरीले (uneven) तथा उबड़-खाबड़ ( Rough) मैदान है। इस मैदानी क्षेत्र में आम, नारियल तथा काजू की खेती की जाती है। इस भाग में होने वाली मानसून पूर्व वर्षा को आम्र वर्षा ( Mango Shower) कहते हैं जो लाभदायक होती है
कन्नड के मैदान
यह मैदान मुख्य रूप से कर्नाटक में स्थित है। इस मैदानी क्षेत्र में गिरते समय नदियाँ जलप्रपात बनाती सरावती नदी यहाँ Jog Wateryall का निर्माण करती है। Jog fall को Gerusopa या महात्मा गाँधी जलप्रपात भी कहते हैं। इस मैदानी क्षेत्र में होने वाली मानसून पूर्व वर्षा को Cherry Blossom कहते हैं जो कॉफी की खेती के लिए लाभदायक होती है।
मालाबार के मैदान
ये मैदान मुख्य रूप से केरल में स्थित है। यह चौड़े मैदान है तथा इनके तटवर्ती क्षेत्रों में लैगून झीलें पाई जाती हैं जिन्हें स्थानीय भाषा में केयाल (Kayal) कहते हैं।यहाँ की प्रमुख झीलें हैं
वेम्बानाड़ ( Vembanad)
अष्ठामुड़ी (Asthamudt)
पुन्नामादा (Punmamada) यहाँ प्रतिवर्ष नेहरू ट्रॉफी वल्लमकाली नौका दौड होती है।
पूर्वी तटवर्ती मैदान
पूर्वी तटवर्ती मैदान स्वर्णरेखा से कन्याकुमारी तक स्थित यह मैदान चौड़े हैं क्योंकि यहाँ की नदियाँ डेल्टा का निर्माण करती है। इन मैदानों की चौड़ाई लगभग 100 – 150 km. या उससे अधिक सम्मिलित हैं।
स्वर्णरेखा से कृष्णा नदी के बीच स्थित मैदान को उत्तरी सरकार कहते हैं। कृष्णा नदी से कन्याकुमारी के बीच स्थित मैदान को कोरोमंडल तट कहते हैं। इस मैदानी क्षेत्र के प्रादेशिक भाग भी है।-
उत्कल के मैदान
यह मैदान मुख्य रूप से उडीसा में स्थित हैं। इन मैदानों का निर्माण महानदी द्वारा होता है। इन मैदानों के दक्षिणी भाग में चिल्का झील स्थित है। यह एक लैगून झील है।
यह भारत की सबसे बड़ी लवणीय झील है। चिल्का झील एक प्रमुख आईभूमि क्षेत्र है अतः यह रामसर सूची में सम्मिलित हैं।
आंध्रा के मैदान
इन मैदानों का निर्माण गोदावरी तथा कृष्णा नदी द्वारा जमा किए गए अवसादों से होता है। इन मैदानों के मध्य भाग में मीठे पानी की झील कोलेस स्थित है।इस मैदान के दक्षिणी भाग में पुलिकट नामक लैगून झील स्थित है।
पुलिकट झील में श्रीहरिकोटा द्वीप स्थित है जिस पर सतीश धवन स्पेस सेंटर स्थित है।
तमिलनाडू के मैदान
इस मैदान का निर्माण कावेरी नदी द्वारा होता है। कावेरी नदी के डेल्टा क्षेत्र का उपयोग चावल की खेती के लिए किया जाता है अत: इस मैदान को दक्षिण भारत का ‘खाद्यान्न का कटोस’, भी कहते हैं।
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