पृथ्वी गोल क्यों नहीं है ?
पृथ्वी गोल क्यों नहीं है ? पृथ्वी गोल क्यों नहीं है ? कैसे बनते हैं ? दिन और रात । पृथ्वी कैसे घूमती है ? पृथ्वी गोल है या चपटी ? इस तरह के सवाल आपके दिमाग में आते होंगे आज हम इसी के बारे में पढ़ेंगे। तथा पृथ्वी के घूर्णन तथा परिक्रमण के बारे में जानेंगे
पृथ्वी का आकार
पृथ्वी का आकार Geoid ( गोलाभ ) है। पृथ्वी विषुवत रेखीय क्षेत्रों से अधिक प्रसारित है जबकि ध्रुवीय क्षेत्रों में थोड़ी चपटी है। पृथ्वी के घूर्णन के कारण अपकेन्द्रीय बल लगता है जिससे विषुवतरेखीय क्षेत्र में प्रसार अधिक हो जाता है।विषुवत रेखीय क्षेत्रों में गुरुत्वाकर्षण बल सबसे कम लगता है। तथा धुव्रीय क्षेत्रों में सर्वाधिक गुरुत्वाकर्षण बल लगता है। ( अत: रॉकेट या सैटेलाइट का प्रक्षेपण विषुवत् रेखीय क्षेत्र से किया जाता है)
पृथ्वी की धुरी (Axis of Earth)
वह काल्पनिक रेखा जिसके चारों ओर पृथ्वी घूर्णन करती है, उसे पृथ्वी की धुरी कहते हैं। पृथ्वी की धुरी लम्बवत् से 23½ झुकी हुई है। इस झुकाव को अक्षीय झुकाव (axial bending) कहते हैं।
पृथ्वी की कक्षा
- बह स्थाई मार्ग जिस पर चलते हुए पृथ्वी सूर्य के चारों ओर परिक्रमण करती है, उसे पृथ्वी की कक्षा कहते हैं।
- पृथ्वी की कक्षा दीर्घवृत्ताकार (Elliptical) है।
- दीर्घवृत्ताकार कक्षा के कारण पृथ्वी तथा सूर्य के बीच हमेशा समान दूरी नहीं रहती। पृथ्वी तथा सूर्य के बीच औसत 150 मिलियन किमी. दूरी होती है।
- एक खगोलीय इकाई का मान भी 150 मिलियन किमी. ही होता है।
उपत्सोर (Perihelion):-
- वह स्थिति जब सूर्य तथा पृथ्वी के बीच सबसे कम इरी होती है, उसे उपसौर कहते हैं।
- यह उ Jon. को होती है जब पृथ्वी पर सामान्य से 7% अधिक सौर विकिरणें प्राप्त होती हैं।
अपसौर (Apehelion)-
- वह स्थिति जब सूर्य तथा पृथ्वी के होती है, उसे अपसौर कहते हैं। बीच सर्वाधिक दूरी
- इस दौरान पृथ्वी पर सामान्य से 7% कम सौर विकिरणें प्राप्त होती हैं। यह 4 July को होती है।
- उपसौर तथा अपसौर दोनों स्थितियाँ उत्तरी गोलार्द्ध की मौसम परिस्थितियों के अनुकूल होती है।
पृथ्वी की गतियाँ (Motions of Earth)
परिभ्रमण / घूर्णन (Rotation):
- पृथ्वी द्वारा अपनी धुरी के चारों ओर की जाने वाली गति को घूर्णन कहते हैं।
- पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर घूर्णन करती है।
- पृथ्वी को एक परिभ्रमण पूरा करने में 23 hr 56 min. 4 Sec लगते हैं।
परिभ्रमण के प्रभाव :-
सूर्य का पूर्व से उदर्य होते तथा पश्चिम में अस्त होते हुए प्रतीत होना
दिन और रात का निर्माण होना प्रदीप्ति का वृत्त दिन और रात वाले स्थानों को अलग करता है।
कोरियोलिस बल का निर्माण
परिभ्रमण के कारण कोरियोलिस बल का निर्माण होता है। यह बल मुक्त रूप से गति कर रही वस्तुओं पर लगता है।कोरियोलिस का मान विषुवत् रेखीय क्षेत्र में शून्य होता है तथा ध्रुवीय क्षेत्रों में कोरियोलिस बल का मान सर्वाधिक होता है। उत्तरी गोलार्द्ध में यह बस्तुओं को दायीं ओर मोड़ता है तथा दक्षिणी गोलार्ड में यह वस्तुओं को बायीं ओर मोड़ता है। कोरियोलिस बल के कारण चक्रवात का भी निर्माण होता है प्रतिचक्रवात का निर्माण भी कोरियोलिस बल के कारण होता है।
परिक्रमण (Revolution):-
पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर परिक्रमण करती है। पृथ्वी को एक परिक्रमण पूरा करने में 365 days 6 hours लगते हैं। परिक्लमग तथा अक्षीय झुकाव के कारण पृथ्वी पर ऋतुओं का निर्माण तथा ध्रुवीय क्षेत्रों में 6 महीने के दिन तथा रात का निर्माण होता है।
विषुव (Equinox)
इस स्थिति के दौरान सूर्य विषुवत रेखा के ठीक ऊपर स्थित होता है अतः इस स्थिति के दौरान पृथ्वी पर सभी स्थानों पर 12 अ. का दिन तथा 12 अ. की रात होती है। विषुव की स्थिति वर्ष में 2 बार बनती है।
अयनांत (Solstice):-
- इस स्थिति के दौरान सूर्य 23½° के ठीक ऊपर स्थित होता है। यह स्थिति वर्ष में 2 बार होती है
- ग्रीष्म अयनांत – यह 21 June को होता है। इस दौरान उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे लम्बा दिन तथा दक्षिणी गोलाई में सबसे लम्बी रात होती है।
शीत अयनांत –
यह 22 Dec. को होता है। इस दौरान उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे लम्बी रात तथा दक्षिणी गोलाई में सबसे लम्बा दिन होता है।
उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
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