रणथंभौर के चौहान वंश

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अजमेर चौहान वंश

रणथंभौर के चौहान वंश -बहुत स्वागत है हमारे ब्लॉग “रणथंभौर के चौहान वंश notes” में। यह ब्लॉग एक यात्रा है उन समयों की, जब इतिहास की गहराइयों से जुड़े एक महान वंश का इतिहास को जानने तथा राजस्थान में होने वाली सरकारी परीक्षाओ के लिए बहतरीन नोट्स उपलब्ध करवाना इससे पहले हमने शाकम्भरी व अजमेर चोहान वंश उत्पत्ति मत इतिहास युध्द शाखा में इसकी बात की है आप रणथंभौर के चौहान वंश notes  के  साथ वो भी पढ़ सकते है “रणथंभौर के चौहान वंश ” नाम सुनते ही हमारे मन में वीरता, साहस, और समृद्धि का चित्र उत्पन्न होता है। इस वंश का इतिहास विविधता से भरपूर है और यह भारतीय सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न  हिस्सा है।

रणथंभौर के चौहान वंश 

इस रणथंभौर के चौहान वंश notes ब्लॉग में, चोहान वंश और  उसका इतिहास, के साथ साथ हम नाडोल और जालौर के चोहान के बारे में पदेंगे और  शाखा के विशेष महत्वपूर्ण युद्धों की खोज परिणाम किताबे मत विद्वान निर्णय उपलब्धि  के बारे में जानकारी प्रात्त करेंगे  ।

रणथंभौर के चौहान वंश notes 2024

रणथम्भौर के चौहान

  • स्थापना – 1194 ई. में गोविंदराज (पृथ्वीराज चौहान का तृतीय पुत्र)
    गोविन्दराज वाल्हणदेव (कल्हणदेव) प्रल्हादन वीरनारायण वागभट्ट जयसिम्हा हमीर
    वीरनारायण इल्तुतमिश ने धोखे से दिल्ली बुलवाकर मरवा दिया ऐसे वाग्‌भद कई बार युह करता है। [ बलबन से कई बार युह)
    जयसिम्हा । जैत्रसिंह । जयसिंह
  • हम्मीर देव चौहान (1282-1301)
  •  जयसिम्हा का तीसरा पुत्र
    हम्मीर अपने हठ के प्रसिद्ध था।
    भीमरस के राजा अर्जुन को पराजित करता है। थार राजा भोज परमार व चितौड़ के समरसिंह को भी पराजित करता है।
    हम्मीर ने अपने जीवन में 17 युह किए 16 में विजयी रहा।
    कोरियाजन यज्ञ किया ( पुरोहित विश्वरूपम् )
  • 1290- जलालुद्दीन का झाई दुर्ग पर आक्रमण जलालुद्दीन पराजित – जलालुद्दीन खिलजी का आक्रमण 2 बार
  • 1291 व 1292
  • आक्रमण विफल
  • खिलजी का कथन –
  • “ऐसे 10 किलों को मुसलमान के एक बाल के बराबर भी नहीं समझता”
  • हम्मीर की तरफ से गुरदास सैनी ‘मारा गया।

रणथम्भौर

  • झाइन (कुंजी ) दुर्ग
  • अलाउद्दीन का आक्रमण
  • कारण   = अलाउद्दीन के विद्रोही मंगोल नेता मोहम्मद शाह व केहबू को  हम्मीर शरण देता है।
  • 1299  के लगभग उलुग खाँ हम्मीर पर आक्रमण । अलप खाँ, नुसरत खाँ का
  • हम्मीर की ओर से धर्मसिंह व भीमसिंह जाते हैं। (मृत्यु)
  • इसके पश्चात् अलाउद्दीन का पुनः आक्रमण
  • नुसरत खाँ मारा जाता है। अलाउद्दीन स्वयं आता है।
  • खणमल व रतिपाल गद्दार निकलते हैं।
  • 11 जुलाई 1301 रणथम्भौर व राजपुताना का पहला साका
  • हम्मीर के नेतृत्व में केसरिया नेतृत्व में व रानी रंगदेवी के नेतृत्व में  पुत्री देवलदे
  • जौहर ।  → राजस्थान  का एकमात्र जला जलजौहर माना जाता है।
  • हम्मीर की पुत्री पदमा | देवल दे इ‌द्वारा जौहर से एक दिन पूर्व पद्म तालाब में कूदकर आत्महत्या ।
  • हम्मीर अपने पिता जैत्रसिंह के 32 वर्षीय शासनकाल की याद “32 खम्भों” की छातरी बनवाता है।
  • दरबारी विद्वान – बीजादित्य

गुरु – राघवदेव

  • रणधम्मौर की विजय के बाद अलाउद्दीन खिलजी ने यह दुर्ग “उलूखान “के अधिकार में सौंप दिया।”
  • प्रमुख ग्रंथ :-
    हम्मीर महाकाव्य – नयनचन्द्र सूरी
    हम्मीर रासौ सारंगधर -जोधराज
    हम्मीर मद मर्दन – जयसिंह सूरी ( इल्तुतमिरा)
  • जैत्रसिंह (मेवाड़)
  • अमीर खुसरो – खजाईन उल फुतुह

नाडोल के चौहान

  • संस्थापक – लक्ष्‌मणसिंह चौहान (960 इ .) → (वाकपतिराज  का पुत्र)
  • शाकम्भरी के चौहानों के बाद यह प्रथम चौहान राज्य था।
  • राजस्थान का दूसरा  चौहान शासक

जालौर के चौहान

  • प्राचीन नाम – जाबालीपुर (जाबाल प्रऋषि के कारण) जाल वृक्ष की अधिकता के कारण जालौर नाम पड़ा
  • सिवाणा । सोनगिरी पहाड़ी पर जालौर दुर्ग होने के कारण यहां के चौहान शासक सोनगरा चौहान कहलाए।
  • संस्थापक – कीर्तिपाल चौहान – 1181 ई. में
  • इसने चौहानों की सोनगरा शाखा की स्थापना की।
  • कीर्तिपाल चौहान
  • समरसिंह (1182-1205)
  • उदयसिंह (1205-57)
  • कान्हडदेव चौहान  (अंतिम) (1305-1311)
  • समतसिंह (1282-1305)
  • चाचिंगदेव (1257-82)
  • कीर्तिपाल ने मेवाड़ के गासब शासक सामन्त सिंह को पराजित किया-था। नैगसी कीर्तिपाल को “कीतु एक महान शासक” कहता है।
  • सुण्डा अभिलेख मैं कीर्तिपाल को राजेश्वर कहा गया है।
  • समरसिंह ने अपनी पुत्री लीलादेवी का विवाह चालुक्य भीम द्वितीय  के साथ किया था।
  • 1228 में उद‌यसिंह ने इल्तुतमिश का सफलतापूर्वक सामना किया। गुजरात के लवणप्रसाद को परास्त किया।
  • पंडित दशरथ शर्मा के अनुसार “उदयसिंह की मृत्यु के पश्चात् समय जालोर उत्तर भारत का संभवतः सर्वाधिक शक्तिशाली राज्य था।
  • * चाचिंगदेव – यह मासिकदीन महमूद व बलबन का समकालीन था लेकिन इन्होंने चाचिंग देव पर आक्रमण का साहस नहीं किया।

कान्हड़देव चौहान (1305 – 1311)

  • 1298-99 में अलाउद्दीन की सेना ने गुजरात आक्रमण के दौरान सोमनाथ को लूटा व शिवलिंग को तोड़ दिया।
  • वापसी के दौरान जालौर की की सेना ने (मैत्री – जैता देवड़ा) ने : आक्रमण किया और शिवलिंग पाँच टुकड़ों को अलग अलग गाँवों में  स्थापित किया।
  • 1305 में अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति एन – उल – मुल्क मुल्तानी ने जालौर पर आक्रमण किया।
  • कान्हड़देव को यह सम्मानजनक संधि का वादा कर अपने साथ दिल्ली ले गया लेकिन अपमान होने पर कान्हड़देव वापस लौट जाता है।
  • 1308 सिवाना पर अलाउद्दीन का आक्रमण (सुल्तान स्वयं)
  • हल्देश्वर की पहाड़ी पर
  • निर्माता वीर नारायण पंवार
  • दुर्ग में सीतलदेव व सोम ने सामना किया (कान्हड़‌देव के भतीजे)
  • 2 जुलाई 1303 को कमालुद्दीन गुर्ग के नेतृत्व में किला घेर लिया। 10 Nov. 1308 को जीत लिया।
  • के सिवाणा का पहला शाका – 1308 (अलाउदीन खिलजी के बीच प्रथम संघर्ष
  • विश्वासघाती भावला (एकमात्र के स्रोत भोडेलाव में गौरक्त मिला दिया)
  • कमालुद्दीन को दुर्ग सौंप दिया

1311 में जालौर का प्रथम शाका 

  • कमालुद्दीन गुर्ग के नेतृत्व में आक्रमण
  • विश्वश्घाती दईया बिका (इसकी पत्नी ने इसे मार दिया )
  • कान्हड़देव चौहान व् विरम दे के नेत्रत्व में केशरिया व् रानी जैतल ने जोहार
  • अलाउद्दीन ने जालौर का नाम जलालाबाद रखा।
  • अलाई मस्जिद का निर्माण करवाया
  • फिरोजा (अलाउद्दीन की पुत्री) वीरमदेव से प्रेम करती थी । यमूना में कूदकर आत्महत्या ।
  • फिरोजा की धाय – गुल बिहिस्त
  • कान्हड़देव की जानकारी से संबंधित स्रोत
  • पड़मनाथ कान्हड्दैव प्रबन्ध – अलाउद्दीन व कान्हड़देव के बीच युद्ध की वीरमदेव सोनगरा री बात जानकारी
  • नैणसी री ख्यात
  • तारीख ए फरिश्ता
  • Note:- अलाउद्दीन ने सिवाना का नाम खैराबाद व जालौर का नाम जलालाबाद रखा
  • सिताणा में जौहर मैगादे) के नेतृत्व में “व जालौर का जेतल दे के  नेतृत्व  में।
  • जालौर के शासक “चाचिगदेव” को किसी भी दिल्ली के सुल्तान के आक्रमण का सामना नहीं करना पड़ा

हमने इस आर्टिकल रणथंभौर के चौहान वंश notes में हमने चोहान वंश के बारे में जानकारी प्राप्त की  ये सभी जानकरी राजस्थान सिविल सेवा और अन्य एग्जाम में इसने क्वेश्चन पूछे जाते है आप इनके साथ ही भारतीय भूगोल के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकते है इसके अलावा, हमने और भी  ब्लॉग पोस्ट तैयार की है जिसमें हम बात करेंगे कि

कैसे बनते हैं पहाड़ ?

अक्षांश और देशांतर रेखा क्या है ?

पृथ्वी गोल क्यों नहीं है ?

इसी के साथ, हम इस ब्लॉग पोस्ट को और रोचक बनाने के लिए एक और ब्लॉग लेख का लिंक भी साझा करेंगे,यहाँ पर दी गई जानकारी हमने विकीपीडिया तथा मान्यता प्राप्त कोचिंग के नोटस से  जानकारी से प्राप्त की है

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