उत्तराखंड के प्रमुख लोकनृत्य कौन से हैं ,छोलिया नृत्य कहाँ किया जाता है ,पांडव नृत्य कहाँ किया जाता है,लंगवीर कहाँ किया जाता है, भोटिया कहाँ किया जाता है ,तांदी,झूमैलो, चांचरी (चांचड़ी),हुड़का नृत्य,छपेली,जागर और पंवाड़ा,पंडावर्त,मंडाण,हंत्या (अशांत आत्मा नृत्य),रणभूत नृत्य,भागनौली नृत्य,हारुल,बुड़ियात,नाटी नृत्य
उत्तराखंड के प्रमुख लोकनृत्य कौन से हैं : SSC, RAILWAYS, UPSC सरकारी परीक्षाओं के लिए जानकारी
नमस्कार दोस्तों! आपका स्वागत है हमारे इस नए ब्लॉग पोस्ट में, जहां हम आपको उत्तराखंड राज्य के प्रमुख लोकनृत्यों की एक रूचिकर यात्रा पर ले जाएंगे। यह जानकारी विशेषकर उन छात्रों के लिए है जो सरकारी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, जैसे कि SSC, UPSC, और राज्य स्तर की परीक्षाएं।इस पोस्ट के माध्यम से हम सभी प्रमुख लोकनृत्यों को विस्तार से देखेंगे और उनके विशेषताओं, वेशभूषा, संगीत, और नृत्य शैली को समझेंगे
छोलिया नृत्य कहाँ किया जाता है
यह नृत्य उत्तराखंड के प्रमुख नृत्य में से एक है यह मुख्यत शुभ अवसरों तथा बारात के साथ किया जाने वाला तलवार नृत्य है
पांडव नृत्य कहाँ किया जाता है
यह उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में प्रचलित है यह हिंदू महाकाव्य महाभारत से गायन नृत्य और पाठ के माध्यम से कहानियों का विशेष अनुष्ठान है पांडव महाकाव्य में पांच तरह के नायक है इसमें गांव के लोग नृत्य करते हुए ढोल दमोह और भांकोर नामक वाद्य यंत्र बजाते हैं
लंगवीर नृत्य कहाँ किया जाता है
यह मुख्यतः टिहरी गढ़वाल क्षेत्र पर किया जाता है यह पुरुष नृत्य है जिसमें बास के खंभे का उपयोग करके कलाबाजी करता है तथा बाकी के लोग नीचे ढोल व दमन बजाते हैं
भोटिया नृत्य कहाँ किया जाता है
यह भोटिया जनजाति द्वारा किया जाने वाला नृत्य है भोटिया जनजाति में विशिष्ट नृत्यों में धुरंग व धुरिंग नृत्य शामिल है यह नृत्य किसी व्यक्ति की आत्मा को मुक्त करने में सहायक माना जाता है
चौफला नृत्य कहाँ किया जाता है
चौफला शब्द का अर्थ है चारों ओर खिले फूल
इस नृत्य में लोग फूलों की तरह गोल घेरा बनाकर नृत्य करते हैं जिसे चौफला कहते हैं यह देवी पार्वती की सखी शैलियों द्वारा किया जाने वाला नृत्य है
थडिया नृत्य कहाँ किया जाता है
जिसका अर्थ है घर का आंगन यह वसंत पंचमी को किया जाता है घर की विवाहित बेटियों को आमंत्रित करके सुंदर गीतों को तालों से कदम से कदम मिलाकर क्या जाने वाला नृत्य है
तांदी नृत्य कहाँ किया जाता है
उत्तरकाशी के जौनपुर में यह नृत्य किया जाता है इसमें सामूहिक रूप में लोग एक दूसरे के हाथ पड़कर गीत गाते हुए नृत्य करते हैं यह माघ महीने में किया जाता है इसमें किसी प्रसिद्ध व्यक्ति के कार्यों की सरहाना की जाती है
झूमैलो नृत्य कहाँ किया जाता है
यह बिना वाद्य यंत्रों के दिवाली और कार्तिक के महीने पूरी रात किया जाता है इसमें गायन की पंक्ति व गीत का समावेश के लिए जाना जाता है यह नारी के हृदय और पीड़ा और प्रेम को दर्शाता है
सरौं व पौंणा नृत्य कहाँ किया जाता है
इसमें सतरंगी की पोशाक ढोल दमाऊ नागदा बैंकॉक कैसल रणसिंह ढाल तलवार से डरती किया जाता है
तथा नर्तक करतब दिखाते हुए वीर रस व शौर्य प्रधान का अनूठा संगम दिखता है
झोरा नृत्य कहाँ किया जाता है
झोरा को हिंदी शब्द जोड़ा से लिया गया है इसे शादी ब्याह में हाथ जोड़कर समझ नृत्य किया जाता है इसके दो रूप है मुक्तक और पवन तक प्रबंधात्मक जोड़ा यह कुमाऊं के बागेश्वर क्षेत्र में माघ की चांदनी रात में स्त्री तथा पुरुष द्वारा किया जाता है
तथा अन्य नृत्य निम्नलिखित है
चांचरी (चांचड़ी),
हुड़का नृत्य,
छपेली,
जागर और पंवाड़ा,
पंडावर्त,
मंडाण,
हंत्या (अशांत आत्मा नृत्य),
रणभूत नृत्य,
भागनौली नृत्य,
हारुल,
बुड़ियात,
नाटी
इसके साथ आप अन्य राज्यों के भी नृत्यों के बारे में पढ़ सकते है जो निम्न लिखित है
यहाँ पर दी गई सभी जानकारी विकिपीडिया तथा उत्तराखंड के सरकारी वेबसाइट से ली गई है