वायुमंडल और उसकी सरंचना

वायुमंडल और उसकी सरंचना

नमस्कार, इतिहास रचने के इरादे रखने वाले SSC, UPSC और PSC के साथियों! क्या आपने कभी सोचा है कि जो हवा आप सांस लेते हैं, वो असल में एक विशाल, रहस्यमय संरचना का हिस्सा है? जी हाँ, हम बात कर रहे हैं वायुमंडल की, उसी पहेली की, जिसकी परतें पृथ्वी को एक सुरक्षा कवच की तरह ढके हुए हैं.

लेकिन, ये वायुमंडल कोई मामूली आवरण नहीं है! ये वो जादूगर है, जो सूरज की किरणों को छानकर ज़िंदगी देता है, तूफानों का रौद्र रूप दिखाता है, और मौसम के रंग बदलता रहता है. और अगर आपका सपना है देशसेवा का, तो इस जादूगर के हर जादू को समझना ज़रूरी है.

तो तैयार हैं, एक ऐसी यात्रा पर निकलने के लिए, जहाँ हम वायुमंडल की हर परत को चीरकर देखेंगे, उसके घटकों का विश्लेषण करेंगे, और उसकी संरचना के रहस्यों को उजागर करेंगे? ये यात्रा सिर्फ रोमांचक नहीं होगी, बल्कि आपके लक्ष्यों को हासिल करने में भी अहम साबित होगी.

तो बिन सांस लिए, सीट बेल्ट बांधिए, और ज़मीन से थोड़ा ऊपर उठ जाइए. क्योंकि आज, हम वायुमंडल के सफर पर निकल रहे हैं!

ये सफर, सिर्फ जानकारी का ही नहीं, बल्कि आत्मविश्वास का भी होगा. तो चलिए, उड़ान भरते हैं वायुमंडल और उसकी सरंचना की और 

वायुमंडल और उसकी सरंचना

पृथ्वी के चारों ओर पाई जाने वाली वायु की परत को वायुमण्डल कहते हैं।
पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण वायुमण्डल पृथ्वी के चारों ओर बना रहता है।
वायुमण्डल जीवन के लिए अत्यन्त आवश्यक होता है।
वायुमण्डल के मुख्य घटक निम्नलिखित होते हैं:-

गैसें
जलवाष्प
धूल के कण

 

गैसें :-

नाइट्रोजन 78 %
ऑक्सीजन 21%
ऑर्गन 0.9%
CO₂ (हरित गृह गैस). 0.033 %

जलवाष्प :-

बादल निर्माण एवं वर्षा के लिए आवश्यक होता है। जलवाष्प हरित गृह प्रभाव डालता है।
जलवाष्प की सर्वाधिक मात्रा वायुमण्डल की सबसे निचली परत में पाई जाती है।

धूल के कण

धूल के कणों द्वारा सौर विकिरणों का प्रकीर्णन होता है जिसके कारण आकाश नीला एवं लाल
नजर आता है। संघनन की क्रिया भी धूल के कणों के चारों ओर होती है अतः धूल के कण बादल निर्माण एवं वर्षा के लिए आवश्यक होते हैं।

वायुमंडल और उसकी सरंचना

वायुमण्डल की संरचना 

 क्षोभमण्डल क्या है ? क्षोभमण्डल की  ऊंचाई कितनी है ?

क्षोभमण्डल की ऊँचाई विषुवतरेखीय क्षेत्रों में 14-16 km. होती हैतथा धुव्रीय क्षेत्रों में यह लगभग 8 km. होती है।
विषुवतरेखीय क्षेत्रों में अधिक सौर ताप प्राप्त होने के कारण वायु गर्म होकर ऊपर की और उठती है, जिसके कारण उस क्षेत्र में क्षोभमण्डल की ऊँचाई बढ़ने लगती है।
धुवीय क्षेत्रों में तापमान कम होने के कारण वायु ठण्डी होकर अवतलित (descending होती है जिससे सोभमण्डल की ऊँचाई कम हो जाती है।
क्षोभमण्डल में वायु की सान्द्रता सर्वाधिक होती है जिसके कारण सौर विकिरणों का सर्वाधिक प्रकीर्णन व परावर्तन होता है।
इस परत में सभी मौसम परिघटनाएँ घटती हैं।

इस परत में ऊँचाई बढ़ने पर एक निश्चित दर से तापमान कम होता है, जिसे सामान्य तापमान पतन दर (Normal Temperature Lapse Rate) कहते हैं।
इस दर के अनुसार 1 km. ऊँचाई बढ़ने पर तापमान 6.5°C कम हो जाता है और या 165m. ऊँचाई बढ़ने पर तापमान 1°C कम हो जाता है। क्षोभमण्डल तथा समतापमण्डल के बीच एक संक्रमण परत है जिसे क्षोभ सीमा (Tropo-pause) कहते हैं।

समतापमण्डल क्या है ? समतापमण्डल की  ऊंचाई कितनी है ?

यह परत क्षोभ सीमा से 50 km. की ऊँचाई के बीच पाई जाती है।
इस परत में मौसम परिघटनाएँ ना के बराबर होने के कारण इस परत का उपयोग जेट विमान उड़ाने के लिए किया जाता है।
इस परत में 20-40 km. के बीच ओजोन परत पाई जाती है।
← 25 km. ऊँचाई पर ओजोन की सान्द्रता सर्वाधिक पाई जाती है।

ओजोन परत सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करती है अतः इस परत को पृथ्वी की सुरक्षा परत कहते हैं।
पराबैंगनी किरणों के अवशोषण के कारण इस परत में ऊष्मीय ऊर्जा मुक्त होती है जिसके कारण इस परत में ऊँचाई बढ़ने पर तापमान बढ़ने लगता है।
समतापमण्डल तथा मध्यमण्डल के बीच समताप सीमा स्थित है।

मध्यमण्डल क्या है ? मध्यमण्डल की  ऊंचाई कितनी है ?

यह परत 50-80 km की ऊँचाई के बीच पाई जाती है। इस परत में ऊँचाई बढ़ने पर तापमान कम होता है। ←
यह वायुमण्डल की सबसे ठण्डी परत है।
80 km. की ऊँचाई पर तापमान लगभग -100°C हो जाता है।
इस परत मैं उल्का पिण्ड (Meteraites) जलने लगते हैं। मध्यमण्डल तथा तापमण्डल के बीच मध्य सीमा स्थित है।

तापमण्डल क्या है ? तापमण्डल की  ऊंचाई कितनी है ?

यह परत 80 Km. की ऊँचाई से प्रारम्भ हो जाती है। इस परत में ऊँचाई बढ़ने पर तापमान बढ़ने लगता है। ←
इस परत को दो उपपरतों में बाँटा जा सकता है:-
आयनमण्डल
बहिर्मण्डल

आयनमण्डल

यह परत 80 Km. से 640 km. के बीच पाई जाती है। इस परत में आवेशित कण पाए जाते हैं।
रेडियो तरंगों की सहायता से पृथ्वी से इस परत का उपयोग दूरसंचार सेवाओं के लिए किया जाता है।
इस परत में पाए जाने वाले आवेशित कण ध्रुवीय क्षेत्रों के ऊपर सूर्य से आने वाले आवेशित कणों के साथ क्रिया करते हैं जिससे फोटॉन का उत्सर्जन होता है।
इन फोटॉन के कारण ध्रुवीय प्रकाश का निर्माण होता है।
इस रंग-बिरंगे प्रकाश को अरोरा (Aurora) भी कहते हैं।
उत्तरी ध्रुव
अरोरा बोरियालिस ( Borealis)
दक्षिणी ध्रुव अरोरा ऑस्ट्रेलिस (Australis)
आवेशित कणों की क्रियाओं के कारण इस परत में ऊँचाई बढ़ने के साथ तापमान बढ़ता है।

बहिर्मण्डल

यह 640 km की ऊँचाई से प्रारम्भ होता है।
वायु  की सान्द्रता इस परत मैं सबसे कम होती है।
इस परत में ऊँचाई बढ़ने के साथ तापमान बढ़ता है जो लगभग 1700°C या उससे अधिक हो जाता है।

 

 

वायुमंडल और उसकी सरंचना की अनंत कहानी का समापन: सिविल सेवा पथिकों के लिए अंतिम टेकअवे

दोस्तों, वायुमंडल के रोमांचक सफर का ये पड़ाव यहीं समाप्त होता है। हमने इसकी संरचनाओं को खंगाला, परतों को चीरकर देखा, और वायुमंडलीय घटनाओं के रहस्यों को उजागर किया। अब जबकि हम पृथ्वी के इस सुरक्षा कवच को करीब से जान चुके हैं, आइए सिविल सेवा, यूपीएससी और पीएससी की परीक्षाओं में विजय हासिल करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण टेकअवे को समेट लें

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