ज्वालामुखी विस्फोट से बनने वाली भू-आकृतियाँ
आदर्श विद्यार्थियों,
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Toggleनए एवं रोचक विषयों की खोज में आपका स्वागत है! आज हम एक ऐसे महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करने वाले हैं जो हमारे प्राकृतिक संसाधनों के साथ-साथ हमारे जीवन को भी प्रभावित करता है – “ज्वालामुखी विस्फोट से बनने वाली भू-आकृतियाँ.”
ज्वालामुखी विस्फोट एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसमें पृथ्वी के अंदर से उठे मॉल्टन लेवा, मैग्मा, और अन्य ऊष्माग्रस्त पर्दार्थो के कारण भूमि की सतह पर आकृतिक रूप से बनी भू-आकृतियाँ बन जाती है हैं। इन अद्वितीय आकृतियों का अध्ययन करना हमें यह जानने में मदद कर सकता है कि पृथ्वी कैसे बनी ।
हम इस लेख में ज्वालामुखी विस्फोट से बनने वाली भू-आकृतियों के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करेंगे और जानेंगे की इसके कितने प्रकार है , ताकि हम इस महत्वपूर्ण विषय को और अधिक समझ सकें और इसके प्रभाव को समझ सकें।
स्थल आकृतियाँ दो प्रकर की होती है
अन्तर्वेधी (Intrusive).
बहिर्वेधी (Extrusivė)
अन्तर्वेधी स्थलाकृतियाँ
बैथोलिथ
मेग्मा भण्डार के ऊपर जब मेग्मा का एक विशाल पिण्ड जम जाता है तो उसे वैद्योलिथ कहते हैं।
यह गुम्बदाकार स्थलाकृति होती है जो मेग्मा चैम्बर का ही भाग होती है।
लैकोलिथ
मेग्मा भण्डार से ऊपर उठता हुआ मैग्मा कमजोर स्थल पाकर समतल गुम्बदाकार आकृति में जम जाता है, जिसे लैकोलिय कहते हैं।
लैकोलिथ वाहक नलिका द्वारा मेग्मा भण्डार से जुड़ा होता है।
लैपोलिथ :-
ऊपर उठता हुआ मेग्मा कमजोर स्थल पाकर क्षैतिज रूप में फैलकर तस्तरी का आकार ले लेता है, जिसे लेपोलिय कहते हैं।
यह स्थलाकृति वाहक नलिका द्वारा मेग्मा भण्डार से जुड़ी होती हैं।
फैकोलिथ
जब ऊपर उठता हुआ मेग्मा लहरदार आकृति में जम जाता है तो उसे फैकोलिथ कहते हैं।
फैकोलिथ में मेग्मा का जमाव अपनति (Anticline) के ऊपर तथा अभिनति (Syndine) के तल में होता है।
यह स्थलाकृति भी मेग्मा भण्डार से जुड़ी होती है।
सिल / शीट
जब ऊपर उठता हुआ मेग्मा क्षैतिज रूप से फैलकर चादर के रूप में जम जाता है, उससे यह स्थलाकृति बनती है।
मोटी परत वाले जमाव को सिल कहते हैं तथा पतली परत वाले जमाव को शीट कहते हैं।
डाइक:-
जब ऊपर उठता हुआ मेग्मा दीवार के रूप में मेग्मा भण्डार के ऊपर लम्बवत् जम जाता है तो उसे डाइक कहते हैं।
बहिर्वेधी स्थलाकृतियाँ
शंकु
इस प्रकार के शंकु का निर्माण तब होता है जब ज्वालामुखी उद्गार के दौरान लावा की मात्रा सीमित तथा राख की मात्रा अधिक होती है।
इस शंकु की ऊँचाई कम एवं दाल अवतल होते हैं। मेक्सिको में जोरल्लो ( Jorullo) शंकु इसे राख शंकु भी कहते हैं।
अम्लीय शंकु
इस प्रकार के शंकु का निर्माण अम्लीय लावा से होता है जिसमें सिलिका की मात्रा अधिक होती है।
यह लावा गाढ़ा एवं चिपचिपा होता है। अतः यह लावा निकलते ही जम जाता है।
इस लावा से ऊँचे एवं तीव्र ढाल वाले शंकु का निर्माण होता है।
Strombali (इटली)
Basic Cone:-
इस शंकु का निर्माण क्षारीय लावा से होता है जिसमें सिलिका की मात्रा कम होती है।
यह लावा पतला होता है तथा आसानी से फैल जाता है जिससे कम ऊँचाई एवं मंद दाल वाले शंकु का निर्माण होता है।
इस शंकु का उदाहरण हवाई द्वीप में स्थित मोनालुआ शंकु है।
इस शंकु को शील्ड शंकु भी कहते है
Composite Cone मिश्रित शंकु :-
इस शंकु का निर्माण मिश्रित लावा से होता है जिसमें ज्वलखण्डारिम पदार्थ, ज्वालामुखी बम्ब, राख आदि होते
यह पदार्थ परतों के रूप में जमकर ऊँची स्थलाकृति (ऊँचे शंकु) का निर्माण करते हैं। जिसे मिश्रित शंकु कहते हैं।
Hood, Rainier (USA)
परपोषित शंकु
जब लावा का दाब वाहक नलिका पर अधिक लगता है तो वाहक नलिका टूटकर एक उपनलिका का निर्माण करती है। यह उपनलिका मुख्य शंकु के ढ़ाल पर अन्य शंकु का निर्माण करती है। ढाल ल पर बनने वाले इस शंकु को परपोषित शंकु कहते हैं। शास्त्ता का परपोषित शंकु शास्तीना है।
काल्डेरा ( Caldera):-
अत्यधिक विस्फोटक ज्वालामुखी उद्गार के दौरान स्थलीय भाग पर एक ऊँची स्थलाकृति बनने के बजाय वह हिस्सा धँस जाता है।
इससे एक विशाल ज्वालामुखी कुण्ड का निर्माण होता है जिसे काल्डेरा कहते हैं।
जापान को आसो (Aso)
काल्डेरा
जब ज्वालामुखी उद्गार शान्त हो जाता है तो इस विशाल कुण्ड में वर्षा का जल भरने से काल्डेरा झील का है। निर्माण होता
इण्डोनेशिया में स्थित टोबा झील (Toba) विश्व की सबसे बड़ी काल्हेरा झील है।
क्रेटर
शंकुओं के ऊपरी भाग में पाई जाने वाली कीपाकार गर्न, को केटर कहते हैं।
क्रेटर में वर्षा का जल भरने से लेटर झील का निर्माण होता है।
लोनार झील (महाराष्ट्र)
प्लग / डाट (Plug)
वाहक नलिका में मैग्मा के जमने से प्लग का निर्माण होता है।
यह स्थलाकृति शंकु के अपरदन के बाद नजर आती है।
Moutain
शंकु का विस्तृत रूप ज्वालामुखीय पर्वत होता है।
फ्यूजी शान / फ्यूजियामा पर्वत (जापान)
पठार (Plateau):-
ज्वालामुखी पठार का निर्माण क्षारीय लावा के दरारी (fissure) उद्गार से होता है। क्षारीय लावा विस्तृत क्षेत्र में फैलकर परतों के रूप में जम जाता है जिससे पठार बनता है।
दक्कन पठार
गीज़र (Gaser)
वह ज्वालामुखी क्षेत्र जहाँ है, उन्हें गीजर कहते हैं। से गर्म जल तथा जलवाष्प निकलता
Old Faithful Geyser ( Yellow Stone National Park USA
धुँआरे (Fumarates)
ज्वालामुखी की अन्तिम अवस्था के दौरान ज्वालामुखीय गैसों तथा जलवाष्प का उत्सर्जन होता है, जिन्हें धुँआरे कहते हैं।
दस हजार धुँआरों की घाटी । कितमई नेशनल पार्क) अलास्का (USA)
हमने इस आर्टिकल में ज्वालामुखी विस्फोट से बनने वाली भू-आकृतियाँ बारे में जाना तथा हमें ज्वालामुखी सुंदरता और उसकी भयानकता का संगम, प्राकृतिक संतुलन के महत्व को बताता है
इसके अलावा, हमने एक और ब्लॉग पोस्ट तैयार की है जिसमें हम बात करेंगे कि
अक्षांश और देशांतर रेखा क्या है ?
ज्वालामुखी के दिलचस्प रहस्य: जानिए इसके फटने का क्या है राज़
इसी के साथ, हम इस ब्लॉग पोस्ट को और रोचक बनाने के लिए एक और ब्लॉग लेख का लिंक भी साझा करेंगे,
यहाँ पर दी गई जानकारी हमने विकीपीडिया तथा मान्यता प्राप्त कोचिंग के नोटस से जानकारी से प्राप्त की है
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