कैसे बनते हैं पहाड़ ? इसके बारे में सबसे पहले जानने का काम सबसे पहले अल्फ्रेड वेगनर ने किया लेकिन वो इसके काफी रहस्यों को समझा नहीं पाए
कैसे बनते हैं पहाड़ ? इसके बारे में सबसे पहले जानने का काम सबसे पहले अल्फ्रेड वेगनर ने किया लेकिन वो इसके काफी रहस्यों को समझा नहीं पाए
उनके बाद 1967 में मैकेन्जी ने सिद्धान्त प्लेटों के निर्माण, विकास तथा उनमें होने वाली गति के कारण उत्पन्न होने वाली भू-आकृतिक परिघटनाओं को वैज्ञानिक रूप से समझाय
उनके बाद 1967 में मैकेन्जी ने सिद्धान्त प्लेटों के निर्माण, विकास तथा उनमें होने वाली गति के कारण उत्पन्न होने वाली भू-आकृतिक परिघटनाओं को वैज्ञानिक रूप से समझाय
अभिसारित प्लेट धँसने वाली प्लेट गर्म होकर नष्ट हो जाती है तथा पिघलती हैं अतः इन्हें विनाशकारी प्लेट किनारे कहते हैं। इन प्लेट किनारों पर उच्च तीव्रता के भूकम्प, विस्फोटक ज्वालामुखी उद्गार एवं वलित पर्वत निर्माण होता है।
अभिसारित प्लेट धँसने वाली प्लेट गर्म होकर नष्ट हो जाती है तथा पिघलती हैं अतः इन्हें विनाशकारी प्लेट किनारे कहते हैं। इन प्लेट किनारों पर उच्च तीव्रता के भूकम्प, विस्फोटक ज्वालामुखी उद्गार एवं वलित पर्वत निर्माण होता है।
ज्वालामुखी उद्गार के दौरान निकलने वाला लावा ठण्डा होकर नई (thrust) का निर्माण करता है अतः इनके किनारों को रचनात्मक प्लेट किनारे कहते हैं। महासागरीय क्षेत्रों में इन प्लेट किनारों पर महासागरीय कटक(Ridge) का निर्माण होता है।
ज्वालामुखी उद्गार के दौरान निकलने वाला लावा ठण्डा होकर नई (thrust) का निर्माण करता है अतः इनके किनारों को रचनात्मक प्लेट किनारे कहते हैं। महासागरीय क्षेत्रों में इन प्लेट किनारों पर महासागरीय कटक(Ridge) का निर्माण होता है।
प्लेट किनारों पर प्लेटें एक-दूसरे के समानान्तर चलती हैं। इन प्लेट किनारों पर निम्न तीव्रता के भूकम्प आते हैं तथारुपान्तर भ्रंश (Transform Fault) का निर्माण होता है। इन प्लेट किनारों पर ज्वालामुखी उद्गार नहीं होते।
प्लेट किनारों पर प्लेटें एक-दूसरे के समानान्तर चलती हैं। इन प्लेट किनारों पर निम्न तीव्रता के भूकम्प आते हैं तथारुपान्तर भ्रंश (Transform Fault) का निर्माण होता है। इन प्लेट किनारों पर ज्वालामुखी उद्गार नहीं होते।